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Sunday, June 28, 2009

हिन्दयुग्म की "बैठक" पर कृषि/जिन्सों पर नियमित लेख

सूचना तंत्र में आई क्रांति के बाद अंग्रेजी में कृषि व अन्य जिंसो की जानकारी देने वाली अनेक साईट/ब्लाग मिल जाएंगे लेकिन हिन्दी में इस जानकारी की कमी अभी अखरती है। बैठक पर हम इसी के तहत ये विशेष स्तंभ जनवरी २००९ से शुरू किया गया है...हमारा प्रयास रहेगा कि पाठकों (जिनमें किसान,विद्यार्थी, व्यापारी व निवेशक शामिल हैं)को कृषि व अन्य जिंसों के देश व विदेश में उत्पादन, आयात, निर्यात, भाव चक्र, भविष्य के रुझान के बारे में विस्तृत और ठोस व विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराई जाए। फ़िलहाल, इस स्तंभ के नियमित लेखक हैं अनुभवी पत्रकार राजेश शर्मा...

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राजेश शर्मा : संक्षिप्त परिचय


राजेश तीन दशकों से पत्रकारिता में हैं...
वर्ष 1976 से नैशनल न्यूज सर्विस (एनएनएस) आर्थिक पत्रकारिता में, वर्ष 1982 में यूएनआई की हिन्दी सेवा-यूनीवार्ता-में आथिर्क डेस्क पर कार्य। बाद में आर्थिक समाचार पत्र व्यापार भारती में समाचार सम्पादक का पद संभाला।
अप्रैल 1987 में मुंबई से जन्मभूमि समाचार पत्र समूह के दिल्ली कार्यालय में संवाददाता। समूह के विभिन्न पत्रों जिनमें व्यापार गुजराती व हिन्दी, राजकोट से फूलछाब, भुज से कच्छमित्र शामिल हैं को समाचार प्रेषण का कार्य। कुछ समय के लिए संसद की कार्यवाही व समाचार संकलन का कार्य किया।
अप्रैल 2000 से स्वतंत्र पत्रकारिता में। इस समय दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी दैनिक अमन व्यापार, भीलवाड़ा से प्रकाशित टैक्सटाईल वल्र्ड, वेबसाईट इंडिया स्टैट डॉट काम, एक विदेशी समाचार एजेंसी आदि के लिए कार्यरत
ईमेल: rajeshsharma1953@gmail.com

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Monday, December 29, 2008

जय हिन्द, जय हिन्दी, जय हिन्दयुग्म!!!

२८ दिसम्बर को हिन्दयुग्म ने अपना वार्षिकोत्सव मनाया। मैं भी इस आयोजन का साक्षी बना। हिन्दी भवन, दिल्ली में आयोजित इस समारोह में ’हंस’ सम्पादक राजेन्द्र यादव के अलावा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ प्रो॰ भूदेव शर्मा, अंतर्राष्ट्रीय खेल कमेंटेटर प्रदीप शर्मा और कपार्ट, ग्रामीण विकास मंत्रालय के सदस्य डॉ॰ सुरेश कुमार सिंह अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। डा. श्याम सखा ’श्याम’ ने मंच संचालन किया। दोपहर २.३० बजे से जो समा बँधा वो शाम ६.३० बजे तक चला। हिन्दयुग्म के कवियों ने काव्यपाठ किया और पाठकों को सम्मान मिला। हॉल पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था। १५० से ऊपर लोग वहाँ आये हुए थे। हिन्दयुग्म के नियंत्रक शैलेश भारतवासी (bharatwasi001@gmail.com) ने हिन्दी ब्लॉगिंग करना सिखाया। कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई और हर अतिथिगण हिन्दयुग्म की इस पहल और कार्यों का कायल हो गया। हर किसी ने युग्म की मदद करने का वायदा किया। राजेंद्र जी ने जब कहा कि वे खुद ब्लॉगिंग करना सीखना चाहते हैं तो इससे बढ़कर और बात क्या हो सकती थी? युग्म को आगे बढ़ाने में जितने भी कार्यकर्ता लगे हुए हैं, हर किसी के लिये हर्ष का दिन है। मैं भी आज खुश हूँ। १८ महीने पहले पिछले वर्ष अप्रेल में हिन्दयुग्म से जुड़ा था। आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि वो भाषा जिसे मैं समझता था कि बाकि भाषाओं के मुकाबले पिछड़ रही है, आज उसी भाषा के लिये मैं काम कर रहा हूँ और हिन्दयुग्म लोगों को ये रास्ता दिखा रहा है।

अधिक जानकारी के लिये: http://kavita.hindyugm.com/2008/12/celebration-of-hind-yugm-annual.html
जय हिन्द, जय हिन्दी, जय हिन्दयुग्म!!!
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Monday, July 28, 2008

'आवाज़' से रचता ब्लोगिंग में इतिहास

पिछले वर्ष हिन्दयुग्म ने संगीत के क्षेत्र में एक शुरूआत की, जिसका नाम रखा गया-आवाज़। वो आवाज़ जिसके माध्यम से नये संगीतकारों, गीतकारों व गायकों को एक मंच मिल सके जिससे ये सभी प्रतिभावान चेहरे लोगों के सामने आ सकें व अपनी कला प्रदर्शित कर सकें।

पहले इस ब्लाग का मकसद था कविताओं व कहानियों का पोडकास्ट। ऐसा प्रयोग शायद ही कभी किसी ब्लाग या किसी साइट ने किया हो। उसके पश्चात इसका दायरा बढ़ने लगा। सुबोध साठे व ऋषि जैसे गायक व संगीतकार आगे आये। दिसम्बर २००७ में शुरू हुए आवाज़ के मंच पर हर सप्ताह नये चेहरों की प्रतिभा सामने आने लगी। फरवरी २००८ में हिन्दयुग्म ने अपना पहला एल्बम पहला सुर प्रगति मैदान में लांच किया। ये भी ब्लागिंग के इतिहास में पहली मर्तबा हुआ होगा कि कोई ब्लाग संगीत एल्बम रिलीज़ कर रहा हो। इस एल्बम के गीतों की खास बात यह रही कि ये गीत इंटेरनेट पर ही बनाये गये हैं। कोई व्यक्ति उत्तर भारत का होता तो कोई दक्षिण का तो कोई विदेश से काम करता। इस तरह का विचार और प्रयोग भी अपने आप में अनूठा है।
ये गीत इतने पसंद आये कि ये DU-FMअमरीका के डैलास में भी सुने गये। दिल्ली में १०२.६ FM पर भी इसके गीतों का प्रसारण हुआ वो हिन्दयुग्म के सदस्यों का इंटरव्यू भी आया।

पहला सुर की कामयाबी के बाद आजकल आवाज़ पर नयी श्रृंख्ला का आरम्भ हुआ है। इसमें पहले वाले गीतकार व संगीतकार तो हैं ही बल्कि नये संगीतकार भी जुड़े हैं। ये पहले से बड़ा कदम है व लोगों द्वारा लगातार सराहा जा रहा है। इसका अंदाज़ा लगातार बढ़ती टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। 'आवाज़' पर १६ साल के संगीतकार भी हैं व संजय पटेल जैसे सलाहकार भी।

अभी रविवार को ही इंटेरनेट पर कवि सम्मेलन हुआ। ये भी अपने आप में अलग व अनूठा प्रयास कहा जा सकता है। इसकी शुरआत रविवार को ही हुई। और अब खबर ये है की पहला सुर के गीतों को वोडाफोन ने अपनी कालर ट्यून की लिस्ट में भी जगह दे दी है। क्या ये 'आवाज़' की सफलता का प्रंमाण नहीं!!

जिस तरह की कामयाबी हिन्दयुग्म की आवाज़ को प्रथम वर्ष में ही मिल गई है उससे इसके भविष्य का अंदाज़ा लगया जा सकता है जो निःसंदेह उज्ज्वल होगा। इंटेरनेट पर हिन्दी ब्लागिंग में हिन्दयुग्म ने अपने पाठकगण व कविता/कहानियों के दम पर पहले ही तहलका मचाया हुआ है और अब संगीत के क्षेत्र में 'आवाज़' भी धूम मचा रही है। अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये 'आवाज़' ब्लागिंग के क्षेत्र में हर पल नया इतिहास रच रही है।
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