Thursday, January 1, 2009

नव वर्ष की औपचारिकतायें

नव वर्ष की औपचारिकतायें

आगे बढ़ते हुए कहीं हम ये भूल न जायें

साल के आखिरी दिन
किये जाते हैं नये साल से वायदे
खाईं जाती हैं कसमें,
एक दूसरे पर मर मिटने की
शराब सिगरेट न पीने की
सड़क पर न थूकने की
समय पर काम करने की
दूसरों से न लड़ने की
और हर वो काम न करने की
जिसे हम लोग "बुरा" समझते हैं
भेजें जाते हैं ईमेल और स्क्रैप,
बधाई संदेशों का लग जाता है तांता
एस.एम.एस के जरिये,
हर कोई लगा रहता है
औपचारिकतायें निभाने में,
और कहता फिरता है
"नया साल खुशियाँ लाये"
पर ये होता है सिर्फ
साल के पहले और अंतिम दिनों के लिये,
बाद में भुला दिये जाते हैं
किये गये हर वादे
और हर बार की तरह
"नव वर्ष" भी भूल जाता है सब कुछ
निभा जाता है चंद "औपचारिकतायें",
और दे जाता है
सुनामी, अकाल, भूकम्प, बाढ़
और कुछ बम धमाके, आतंकी हमले
दु:ख, शोक, आँसू,
नव वर्ष हम सब को
इन सब से लड़ने की शक्ति दे...

जय हिन्द
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