पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर। ब्लॉग पर श्रीगणेश साल 2007 में किया। इंटेरनेट जगत में ब्लॉगिंग भड़ास निकालने का एक माध्यम बनता जा रहा है। तो इसी भड़ास-क्षेत्र में मैंने राजनैतिक व सामाजिक विषयों से लेखन प्रारम्भ किया। धूप-छाँव पर आप काफ़ी राजनैतिक और सामाजिक लेख पढ़ सकते हैं। धीरे धीरे राजनैतिक लेखों से ऊब सी होने लगी है यही सोच कर ध्यान वैज्ञानिक, शिक्षाप्रद व ज्ञानवर्धक लेखों पर गया। नवम्बर 2010 से मैंने "क्या आप जानते हैं", "गुस्ताखियाँ हाजिर हैं" व "तस्वीरों में देखिये" नामक तीन नये स्तम्भ शुरु किये। इनमें रोचक जानकारी भी है और "गुस्ताखियाँ..." जैसे स्तम्भ में राजनैतिक/सामाजिक कटाक्ष भी शामिल है। हाल ही में "भूले बिसरे गीत" व "अतुल्य भारत" जैसे स्तम्भ भी आये हैं जिनमें हम उन गीतों को देखते-सुनते हैं जो सदाबहार हैं। कुछ रेडियो चैनलों ने बाप के जमाने के गाने सुनाने शुरु किये तो लगा कि उन्हें दादा के जमाने के गानों से अवगत कराया जाये। "अतुल्य भारत" वो स्तम्भ है जिसमें भारत के वो दर्शनीय स्थल हैं जिन पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिये व उसके बार में पता होना चाहिये। प्रयास बस इतना कि भारत की धरोहर कहीं खो न जाये।
कविताओं से जो सफ़र आरम्भ किया था वो लेख तक पहुँचा है। अब भी गाहे-ब-गाहे कविता लिख लेते हैं।
आपको धूप-छाँव कैसा लग रहा है व आप अन्य किन विषयों को पढ़ना चाहेंगे, अवश्य बतायें।
विभिन्न साईटों पर धूप छाँव:
आंधियो में भी जो जलता हुआ मिल जाएगा
उस दिये से पूछना, मेरा पता मिल जाएगा...
आत्मा के सौन्दर्य का, शब्द रूप है काव्य
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य
--गोपालदास "नीरज"
मन के हारे हार है.. मन के जीते जीत...
दो शे’र:
"मुझे गुमराही का नहीं कोई खौफ़
तेरे दर पर हर रस्ता जाये है.."
"कुछ लोग हैं जो वक़्त के साँचों में ढल गये..
कुछ लोग हैं जो वक़्त के साँचे बदल गये..."