Friday, April 16, 2010

वो लूटते रहे.. हम लुटते रहे...

टीपू सुल्तान की तलवार ब्रिटेन में 5 लाख पाऊंड में बेची गई.... ये तलवार भारत से 1799 में मैसूर से चुराई गई थी... या कहें कि लूटी गई थी....
इस देश को पहले अब्दाली, लोदी व गज़नवी ने लूटा... फिर मुगलों ने और फिर बचा खुचा अंग्रेज ले गये....
वो लूटते रहे.. हम लुटते रहे...
Paulo Cohelo के Alchemist उपन्यास में लिखा था: अगर कोई घटना आपके साथ एक बार होती है.. तो जरूरी नहीं कि दोबारा हो। पर अगर दो बार होती है तो तीसरी बार जरूर होगी। कहने का आशय यह कि अगर पहली गलती से नहीं सीखा तो कभी नहीं सीख सकते।
इसलिये ये लूटने-लुटने की परम्परा चली आ रही है।
चल रही है... चलती रहेगी....
आपका क्या ख्याल है?
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Monday, April 5, 2010

तेरे पास मोबाइल नहीं है??

एक गली से गुज़रते हुए दो मज़दूरों की बातें सुनी। एक मज़दूर दूसरे को हैरानी से पूछता हुआ कहता है:
तेरे पास मोबाइल नहीं है!!!
मैं तुझे बुलाऊँगा कैसे?

मन में तुरंत विचार आया कि जिन मज़दूरों के पास खाने को रोटी नहीं, पीने को पानी नहीं आज की तारीख में उनके पास मोबाइल अवश्य मिलेगा। बड़ी विडम्बना ही कही जायेगी कि जिस देश में साफ़ पानी पीने के लिये उतने नल नहीं हैं उससे ज्यादा तो आपको मोबाइल मिल जायेंगे।
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