छोटे बच्चे प्रणव गौड़ द्वारा दीपावली के त्यौहार पर रचित यह बाल-कविता।
प्रणव (कुश) कुलाची हंसराज स्कूल, दिल्ली में तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं और इन्हें शतरंज खेलने का शौक है। इनकी बाल-कवितायें बाल उद्यान पर प्रकाशित होती रही हैं।
दीपों का त्योहार दीवाली।
खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम।
अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
घर-घर सजे , सजे हैं आँगन।
जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग।
लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई ।
देखो देखो दीपावली आई॥
अन्य कवितायें:
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9 comments:
ppyari si kavita
happy deewali
"दीवाली आई है "
सुनो गांव पुर देश .दीवाली आई है |
राम अवधपुर अवधेश,अवध बधाई है ||
सरयू क लहरें धीर, धरनि चमकाई है |
करुणा सिंधु ! बुद्धि की जी बीरताई है||
चारहु दिसि श्रृंगार ,सखी गुण गए हैं |
क्रीड़ा- कल्लोल शारद वीणा बजाई हैं ||
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 04 नवम्बर 2017 को लिंक की जाएगी ....
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क़ाबिले तारीफ़ है
bahot badhiya...very nice
I want more poem
Excellent
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