त्योहारों के मौसम में
बाज़ार में
प्यार की सेल
लगी है,
लोग
रहीम व कबीर
के दोहे भूल गये हैं,
उन्हें चॉकलेट द्वारा
बातों में मिठास घोलना
सिखाया जा रहा है।
बाज़ार में महँगे उपहार
रिश्तों को
मज़बूत करना
चाह रहे है
मकान को सुंदर
बनाने के लिये
तरह तरह के
झालर
खरीदे जाते हैं
मन के झालर
उखड़े पड़े हैं,
उन पर गोंद
चिपकी हुई है
शायद महँगे झालर
दीवारों पर से उतरी हुई
सीमेंट और सफ़ेदी
की परत
को ढँक देंते हैं
हर "ब्रैंड"
परिवार और
रिश्तों को मज़बूत
करना चाहता है,
रिश्ते मज़बूत
होते हैं
लोग सामाना खरीदते हैं
उस ब्रैंड से उनका
नया रिश्ता बनता है
घरों को
सर्फ़ से चमकाया,
चमचमाती लाइटों से
सजाया जाता है,
दिल को
साफ़ करने का
कोई साबुन
नहीं मिलता है बाज़ार में!!
लोगों के दिलों में
प्यार व मिठास
घोलने
के लिये,
ये त्योहार हर साल
आते हैं,
रिश्ते जस के तस हैं
मन की अयोध्या में
राम आयें
या न आयें,
बदलते समय के
बदलते रिश्तों से
बाज़ार हमेशा खुश हैं।
आप सभी पाठकों व मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
3 comments:
बाजारवाद पर ,उपभोक्तावाद पर करार कटाक्ष ,पर हम सब भी इस झूठी और खोखली संस्कृति का एक हिस्सा बनते जा रहे हैं ,
मन की अयोध्या में
राम आयें
या न आयें,
बदलते समय के
बदलते रिश्तों से
बाज़ार हमेशा खुश हैं
ये पंक्तियाँ विशेष रूप से प्रभावित करती हैं .............
This is one of the best from you Tapan.
Happy diwali in advance.
bahut acchi kavita hai tapan bhaiya..
happy deepawali to all...
Post a Comment