Friday, September 25, 2015

आखिर क्यों बेजुबानों को मारा जाता है ईद पर? Stop killing animals on EId

साल में दो मुख्य ईद होती हैं। एक रमजान माह में मीठी ईद जब मुस्लिम भाई सेवइयां बाँट कर सभी के मुँह में मिठास घोलते हैं।

दूसरी ईद तब आती है जब किसी बेज़ुबान की मिठास छीन ली जाती है। ये विरोधाभास क्यों? किसी जानवर को भी जीने का हक़ बनता है।
बलिदान करना है तो अहंकार क्रोध लालच जैसी अनेक बीमारियाँ हैं। उनका करो।

हिन्दू धर्म में भी बलि चढ़ाई जाती थी। किन्तु समय के साथ बदलाव आया है। शुभ काम में अब नारियल फोड़ा जाता है। कलकत्ता का काली मन्दिर एक अपवाद हो सकता है पर भारत के अधिकतर भू भाग में अब मन्दिर में बलि नहीं चढ़ाई जाती।

हर युग में हमें ऐसे महात्मा ज्ञानी मिले जिन्होंने हिन्दू धर्म की कुरीतियों को सही दिशा दी और हमने उसे अपनाया भी।

खुदा ने आदमी भी बनाया और बकरे भैंस ऊँट भी। खुदा ये नहीं चाहेगा कि उसका बनाया इंसान उसी के बनाये पशु को मारे। मैं नहीं समझता वह खुश होगा।

ये ईद केवल इंसानों के लिए नहीं सब के लिए मुबारक हो ऐसी उम्मीद करता हूँ। सेवइयां खिलाएं मिठाइयां बाँटें!

#ईद_मुबारक

जय हिन्द

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Monday, September 21, 2015

पल!

सोचा थम जाए
पर फ़िसल जाता है

सोचा गुजर जाए
पर रुक जाता है!

बेवफ़ा है पल
फिर भी
वफ़ा की इससे उम्मीद
रहती है हर पल!

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