मंज़िल पर चल पड़े हैं पाँव, कभी है धूप कभी है छाँव
सोचा थम जाए पर फ़िसल जाता है
सोचा गुजर जाए पर रुक जाता है!
बेवफ़ा है पल फिर भी वफ़ा की इससे उम्मीद रहती है हर पल!
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