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Thursday, June 9, 2011

हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा कितना है सही? चीन को शत्रु कहें या मित्र? Is China Bigger Enemy Than Pakistan? Chinese Naval Bases In Neighbourhood

"हिन्दी चीनी भाई भाई"- यही नारा दिया था उस पंचशील योजना के दौरान जब पंडित जवाहर लाल नेहरू चीन यात्रा पर गये थे। उसके कुछ समय पश्चात ही चीन ने हम पर हमला कर दिया और 1962 का वो युद्ध हम हार गये। वो बीता हुआ समय था पर सवाल ये है कि क्या अब बदले हुए वक्त में जब भारत भी सशक्त हो चुका है और विश्व में अपनी पहचान बना चुका है तब चीन और भारत के पड़ोसी रिश्ते वैसे ही हैं जैसे 1962 में थे अथवा नहीं? क्या चीन की सोच भारत के लिये बदली है?

पिछले दिनों धूप-छाँव पर लेख छपा था जिसमें चीन के एक विश्वविद्यालय में चल रहे संस्कृत प्रोग्राम का जिक्र था। उस के शीर्षक में मैंने चीन को "शत्रु" कह दिया था। लेकिन कुछ मित्रों ने यह प्रश्न उठाया कि क्या चीन को शत्रु मानना गलत है? क्रमबद्ध तरीके से बात करते हैं। हर बात का प्रमाण देने का प्रयास रहेगा।

चीन द्वारा माओवादियों की सहायता

गौरतलब है कि चीन नेपाल के रास्ते भारत में माओवादियों को हथियार मुहैया करा रहा है। उसका इरादा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ से होते हुए उड़ीसा तक सभी माओवादियों व नक्सलियों हथियार पहुँचाना। और माओवादी देश के आंतरिक हालात किस तरह से बिगाड़ रहे हैं ये सभी जानते हैं।

कुछ खबरें जो विभिन्न साईट से ली गई हैं।
चैनल 7
" बहराइच के रूपईडिहा में पिछले दिसम्बर में तीन चीनी नागरिकों को सशस्त्र सीमा बल के चौकी की तस्वीर उतारते गिरफ्तार किया गया था। तीनों बिना पासपोर्ट और वीजा के भारत आए थे। उनमें से एक के पास भारतीय स्थायी खाता संख्या (पैन कार्ड) भी मिला था। तीनों अभी बहराइच जेल में बंद हैं।"

दैनिक भास्कर


"नेपाल में भारत की मदद से चलने वाली परियोजनाओं में माओवादियों द्वारा अड़ंगा डालने की एक और घटना सामने आई है। वहीं माओवादी पड़ोसी चीन से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। खबर है कि विपक्षी माओवादी पार्टी दक्षिण नेपाल में रेलवे परियोजना पर सर्वे के काम में रुकावटें पैदा कर रही है। जबकि माओवादी नेता प्रचंड एक बार फिर चीन के लिए रवाना हो रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने बारदीबास बाजार में सर्वे के दौरान गाड़े गए खंभे भी उखाड़ दिए हैं। इससे पहले माओवादियों ने नेपाल में भारत की मदद से तैयार होने वाली दर्जनों पनबिजली परियोजनाओं को भी ठप करने की धमकी दी थी। इनका कहना है कि ये परियोजनाएं देशहित के खिलाफ हैं।"

वेबदुनिया
"केन्द्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि माओवादियों को चीन से हथियार हासिल हो रहे हैं, चीन की सरकार से नहीं। माओवादियों से निपटने में उड़ीसा सरकार की तैयारी की समीक्षा करने के बाद पिल्लई ने स्पष्ट किया कि मैंने माओवादियों को चीनी सरकार से हथियार मिलने की बात कभी नहीं कही। उन्हें चीन से असलहे हासिल हो रहे हैं, चीन की सरकार से नहीं।हथियारों के अवैध कारोबार को दुनिया का बड़ा व्यवसाय करार देते हुए उन्होंने कहा कि माओवादियों को चीन, म्याँमार और बांग्लादेश जैसे मुल्कों से हथियार हासिल हो रहे हैं। "

चीन का बंगाल की खाड़ी में नौसेना का अड्डा

टाईम्स ऑफ़ इंडिया

चीन ने म्यांमार की सहायता से कोको टापू पर नौसेना का अड्डा बनाया है। ये जगह भारत से नज़दीक है और यहाँ चीन ने हथियार भी रखने शुरु कर दिये हैं। म्यांमार की नौसेना भी चीन का साथ दे रही है उसके बदले में चीन वहाँ की व्यवस्था को सुधार रहा है।

दूसरी खबर बांग्लादेश से है। यहाँ चटगाँव में चीन ने बंगाल की खाड़ी में अपना नौसेना अड्डा बनाया है।

चीनी वेबसाईट के खुलासे में

चीन का लिट्टे के विरुद्ध श्रीलंका की मदद करना  और वहाँ सैन्य अड्डा खोलना

श्रीलंका के हम्बंतोता में चीन ने पूरी तरह से कमर्श्यल बंदरगाह बनाया है और वहाँ पर अपना सैन्य अड्डा भी खोल दिया है। इसके लिये लिट्टे के विरुद्ध चीन ने लंका की सहायता करी। इस बंदरगाह के लिये चीन ने एक बिलियन डालर खर्च किय हैं। एक बिलियन डालर!!
स्रोत: पाकिस्तानश्रीलंका की साईट

चीन का पाकिस्तान में नौसेना अड्डा और परमाणु शक्ति बनाना

हाल ही में पाकिस्तान के नौसेना अड्डे पर अलकायदा का हमला हुआ। पाकिस्तान ने भी काफ़ी समय से लम्बित अपने निर्णय पर सहमति जता दी है और चीन की मदद से एक नौसेना अड्डा खोलने को कह दिया है। ओसामा के मरने के बाद एक चीन ही था जो खुले तौर पर पाकिस्तान के साथ आया। चीन पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करता आया है ये बात भी किसी से नहीं छिपी है। और तो और पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाने में चीन का ही हाथ है। काराकोरम की घाटियों में भी चीन सैन्य कार्रवाही करता आ रहा है।

टाईम्स ऑफ़ इंडिया

बंगाल की खाड़ी हो या अरब सागर या फिर हिन्द महासागर। तीनों ओर से चीन भारत को घेर चुका है। पाकिस्तान, लंका, नेपाल, बंग्लादेश म्यांमार-सभी पड़ोसी देश चीन के साथ हैं। 
रही सही कसर चीन स्वयं कभी सिक्किम व अरूणाचल प्रदेश तो कभी कश्मीर में घुसपैठ कर पूरी कर देता है। इन सभी राज्यों में उसने जमीन हड़प रखी है ये भी सभी को ज्ञात है। इन सब बातों के बाद इसमें कोई दोराय नहीं है कि आज चीन पाकिस्तान से भी बड़ा शत्रु है। हमने ६२ के बाद भी कोई सीख नहीं ली। न हम खुल कर चीन के सामने आ पाते हैं। तिब्बत के लोग भारत से मदद की गुहार लगाते रहते हैं पर हम चुप रहते हैं।

चीन शत्रु है इसमें कोई संशय नहीं परन्तु यदि हम आँख मूँद कर बैठे रहे और अनजान बनकर चीन को अपना मददगार समझते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब ड्रैगन भारतीय बाघ को चारों तरफ़ दबा कर उसकी साँस रोक देगा और निगल जायेगा।


जय हिन्द
वन्देमातरम

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