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Thursday, March 17, 2011

शहर धुँए में कैद है Shahar Dhuey Mein Qaid Hai - Poem

शहर धुँए में कैद है
दम घुट रहा है....
पर दुनिया की सबसे बड़ी
प्रदूषण - रहित बस सेवा
चलाने वाले इस शहर के पास
इस धुँए से बचने के लिये
कोई सी.एन.जी नहीं !!!

यहाँ दिन-दहाड़े कत्ल होता है
इन्सानियत का....
जो पैदा करता है जेसिकायें व राधिकायें
और रोज़ सहम जाता है शहर..
"रे बैन" का काला चश्मा लगा कर
घूमते हैं लोग...
नज़र चुराते हैं दूध पी रही बिल्ली की तरह..
जैसे कुछ दिख ही नहीं रहा हो
उस रंगीन चश्मे के पीछे...

फ़ुटऑवर ब्रिज और फ़्लाईऑवरों
से गुजरते वाहन..लोग...
तोड़ते हैं उम्मीदों का पुल..
मनों में घोला जाता है "तारकोल"
और रौंदी जाती हैं खुशियाँ
"रोडरोलर" के तले...
और तैयार हो जाती है ईर्ष्या व द्वेष
की एक मज़बूत सड़क..

"विकसित" देशों में शामिल होने की चाह लिये...
हर दिन होता है मानवता का खून...
रोज़ बढ़ाते हैं हम सीने में जल रही
उस आग का जी.डी.पी...
उसी "आग" के धुँए में घुट रहा है
"नैशनल क्राइम कैपिटल"
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Thursday, December 30, 2010

तस्वीरों में देखिये: पैरों में चप्पल पहन कर दिल्ली पुलिस कैसे करती है वी.आई.पी लोगों की सिक्युरिटी और दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर राजनैतिक दलों के बैनरों का मेला Delhi Police in Chappals For VVIP Security and Hoarding Mess At Delhi-UP Border

हाल ही में बुराड़ी, दिल्ली में कांग्रेस पार्टी का महाधिवेशन हुआ। पूरी दिल्ली और खासतौर पर रोहिणी से बस-अड्डे के रास्ते पर ढेरों बैनर व हॉडिंग लगे हुए नजर आये। तीन दिन तक चले इस महा-चिंतन में 10,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किये गये। बुराड़ी शिविर व उसके आस-पास चप्पे-चप्पे पर इतने पुलिस वाले दिख रहे थे जितने खेल-गाँव की सुरक्षा में भी नहीं दिखे। करीबन दस किलोमीटर तक हर पचास मीटर पर एक या दो पुलिसकर्मी दिखाई दे जाते।
जेब में हाथ डाले खड़ा एक पुलिस-कर्मी


इन्हीं पुलिस वालों में से एक पर हमारी नज़र पड़ गई। वज़ीराबाद चौराहे पर पुल-निर्माण के नज़दीक ही ये महाशय हाथों को जेब में डाले खड़े हुए थे।

जुराब के ऊपर चप्पल
हालाँकि इनकी बीड़ी पीते हुए की फ़ोटो तो नहीं ले पाये पर इनके पैरों की तरफ़ नजर गई तो पता चला कि जूतों की जगह जुराब के ऊपर चप्पल पहने हुए थे। ये आलम है आला नेताओं की सुरक्षा में "तैनात" पुलिस वालों का।

दूसरी तस्वीर है दिल्ली-यूपी बॉर्डर की जिसे यूपी गेट भी कहा जाता है। दिल्ली में जो बैनर अथवा हॉर्डिंग लगाये जाते हैं वे अधिकतर फ़्लाई-ऑवरों पर या मेट्रो के साथ-साथ लगे हुए दिखाई देंगे। पर जैसे ही आप यूपी गेट से गाज़ियाबाद-इंदिरापुरम में दाखिल होंगे आपको ढेर सारे हॉर्डिंग नजर आयेंगे।

राजनैतिक पार्टियों के हॉर्डिंग के पीछे छिपे दिशा निर्देश
और ये सब लगे होंगे दिशा बताने वाले बोर्ड पर। ये सिलसिला आज का नहीं है। मैं कम से कम पाँच साल से देख रहा हूँ। लेकिन तस्वीर पाँच दिन पुरानी है। काँग्रेस पार्टी की जनसभा 10 दिसम्बर को थी (बैनर के मुताबिक) पर ये आज भी आपको टँगा हुआ दिख जायेगा। यही रस्ता आगे चल कर लखनऊ भी जाता है। बोर्ड पर Lucknow का "W" दिखाई दे जायेगा।


कोशिश रहेगी कि तस्वीरों के माध्यम से आप तक कोई खबर पहुँचाई जा सके। इसी कोशिश में शुरू हुई है ये श्रॄंख्ला।

"तस्वीरों में देखिये" के पिछले अंक:

वैष्णौं देवी श्राइन बोर्ड कैसे फ़ैला रहा है प्रदूषण 


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