दम घुट रहा है....
पर दुनिया की सबसे बड़ी
प्रदूषण - रहित बस सेवा
चलाने वाले इस शहर के पास
इस धुँए से बचने के लिये
कोई सी.एन.जी नहीं !!!
यहाँ दिन-दहाड़े कत्ल होता है
इन्सानियत का....
जो पैदा करता है जेसिकायें व राधिकायें
और रोज़ सहम जाता है शहर..
"रे बैन" का काला चश्मा लगा कर
घूमते हैं लोग...
नज़र चुराते हैं दूध पी रही बिल्ली की तरह..
जैसे कुछ दिख ही नहीं रहा हो
उस रंगीन चश्मे के पीछे...
फ़ुटऑवर ब्रिज और फ़्लाईऑवरों
से गुजरते वाहन..लोग...
तोड़ते हैं उम्मीदों का पुल..
मनों में घोला जाता है "तारकोल"
और रौंदी जाती हैं खुशियाँ
"रोडरोलर" के तले...
और तैयार हो जाती है ईर्ष्या व द्वेष
की एक मज़बूत सड़क..
"विकसित" देशों में शामिल होने की चाह लिये...
हर दिन होता है मानवता का खून...
रोज़ बढ़ाते हैं हम सीने में जल रही
उस आग का जी.डी.पी...
उसी "आग" के धुँए में घुट रहा है
"नैशनल क्राइम कैपिटल"
4 comments:
Awsome ...
Good presentation.... but i wonder if anybody cares.
aachi kavita hai bhaiya........
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