मित्रों, पहली बार हास्य-व्यंग्य की खट्टी-मीठी चटनी लेकर आपके समक्ष नया स्तम्भ ला रहा हूँ -
"गुस्ताखियाँ हाजिर हैं"
आज की कहानी के पात्र:
मैडम सोनिया जी, आडवाणी जी, अम्मा जी, करूणानिधि और बाबा रामदेव।
(पर्दा उठता है)
आडवाणी जी: सोनिया जी, आप मेरे जन्मदिन पर क्या तोहफ़ा दे रही हैं?
सोनिया जी: आडवाणी जी, वैसे तो मुझे लोग मैडम के नाम से बुलाते हैं, पर फिर भी मैं आपको नाराज़ न करते हुए आपके सवाल का जवाब देती हूँ। काँग्रेस सोच रही है, नहीं नहीं, मैं सोच रही हूँ कि आपको कुछ मंत्रियों के इस्तीफ़े उपहार में दिये जायें।
आडवाणी जी: वाह मैडम जी, वाह!! राहुल बाबा को मेरा आशीर्वाद देना, वे मेरे पास गुलदस्ता ले कर आये थे। उनसे बात करके अच्छा लगा।
सोनिया जी: पर आडवाणी जी, इतनी नज़दीकियाँ अच्छी नहीं। लोग क्या सोचेंगे। खासतौर पर आपकी पार्टी आपके बारे में क्या सोचेगी।
आडवाणी जी: वो तो मेरे बारे में वैसे भी अब कुछ भी नहीं सोचते। बुढ़ापे में अब तो भगवान राम का ही सहारा।
बाबा रामदेव (
नेपथ्य) : आप लोग गहरी साँस लेते हुए स्विस बैंक से काला धन वापिस क्यों नहीं मँगाते ?
जनता का लाखों करोड़ो रुपया वहाँ जमा है।
सोनिया जी: लगता है कोई हमारी बातें सुन रहा है। आप राम का जिक्र कर रहे थे? आपको तो न राम मिले और न ही कुर्सी। दोनों ने आपको छोड़ दिया।
आडवाणी जी (स्वयं को कुर्सी पर बैठा सोचते हुए): फिर भी मैं राम राज के सपने देखता हूँ और उन्हें अपना आदर्श राजा मानता हूँ।
सोनिया जी: इस "आदर्श"ता ने तो हमसे हमारा मुख्यमंत्री छीन लिया है पर हमारे पास भी एक राजा है। जो था, है और रहेगा। हम ए.राजा को पा कर धन्य हुए हैं।
बाबा रामदेव (
नेपथ्य): मैं कहता हूँ आप लोग पेट अंदर करते हुए स्विस बैंक से काला धन वापिस लाने का प्रयास क्यों नहीं करते ?
तभी करूणानिधि जी आते हैं।
करूणानिधि जी: मैडम सोनिया, ये राम-वाम छोड़ो। ये कुछ नहीं होता। हम राम को नहीं मानते। हम ए.राजा को वापिस नहीं बुलायेंगे।
सोनिया जी: आप निश्चिंत रहें। हमारी पार्टी भी कुछ नहीं करेगी। हमने सुप्रीम-कोर्ट में उनकी शराफ़त का एफ़ीडेविट जमा करवा दिया है। हम उनकी शराफ़त साबित करनेके लिये कानून का सहारा लेंगे।
अम्मा जी: मैडम जी, यदि आप ए.राजा को गद्दी से हटा भी देते हैं, तब भी आपको महारानी की कुर्सी से कोई नहीं हटा पायेगा। हम आपके साथ हैं। (मन में) न जाने कब से सत्ता की मिठाई नहीं चखी है।
बाबा रामदेव (
नेपथ्य) : अरे कोई हाथ गर्दन के पीछे से आगे ला कर नाक पकड़ते हुए जनता का पैसा देश में वापस तो लाओ ।
सोनिया जी: आडवाणी जी, आपके यहाँ वक्ता बड़े अच्छे हैं। ये बात तो दुनिया मानती है। सुषमा जी, जेटली जी हों या अन्य बड़े नेता।
आडवाणी जी: हाँ, नितिन की अगुआई में हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारा किला अब अभेद्य है।
जनता(नेपथ्य) : तभी आपकी पार्टी के लोग शब्दों के "बूमरैंग" फ़ेंकते रहते हैं। सुदर्शन चक्र आपके किले पर खुद ही आकर लग गया है।
एक कांग्रेसी: कोई चाहें हमें कितना बुरा भला कह ले पर मैडम जी के लिये एक शब्द भी नहीं सुनेंगे हम। तोड़फ़ोड़ मचा देंगे, आग लगा देंगे।
बाबा रामदेव (
नेपथ्य): अरे कोई तो हाथों को पैरों से मोड़कर कमर पर लाते हुए.....
(पर्दा गिरता है)
क्रमश:
अगले अंक में: अन्य पात्रों से मुलाकात और नईं गुस्ताखियाँ।
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क्या आप जानते हैं स्विस बैंकों में इतना पैसा जमा है कि ३० साल तक हम और आप कोई टैक्स न भरें तो भी सरकार का काम बन जाये!!! ३० साल का टैक्स!!!
भारत में इतनी परेशानियाँ हैं और इतने विवाद हैं, कि हम सभी कहीं न कहीं उनका हिस्सा बनते हैं दुखी होते हैं। दुखी व परेशान होना उपाय नहीं है। जो भ्रष्टाचार व अन्य बुराइयाँ हम समाज व राजनीति में देखते हैं उन मुद्दों को उठाना बहुत जरूरी है।
"गुस्ताखियाँ हाजिर हैं" स्तम्भ की शुरुआत इसी मिशन का एक हिस्सा है। यहाँ हँसी मजाक भी होगा और गम्भीर मुद्दे भी उठाये जायेंगे। ये आवाज़ आगे और बुलंद होगी यही उम्मीद है।
अगले सप्ताह नईं गुस्ताखियों के साथ फिर हाजिर होंगे। तब तक के लिये नमस्कार।
गुस्ताखियाँ जारी हैं.....