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Saturday, December 20, 2008

राजस्थान की गोलमा: लोकतंत्र का मजाक, विडम्बना या मजबूरी

कल राजस्थान में मंत्रियों ने शपथ ली। जिन्होंने शपथ ली उनमें एक राज्यमंत्री हैं गोलमा देवी। बात उनकी इसलिये करनी पर रही है क्योंकि पढ़ाई के मामले में पिछड़े राज्यों में से एक राजस्थान की यह राज्यमंत्री कभी स्कूल नहीं गई। ये पूर्ण रूप से अशिक्षित हैं। शपथ पढ़ नहीं पाई। हस्ताक्षर की जगह अंगूठा लगाया। ये शर्मनाक है। ये लोकतंत्र की विडम्बना है जो ऐसे अनपढ़ लोग हमारे मंत्री बने बैठे हैं। जरा थोड़ा पीछे जाते हैं। किरोड़ी लाल मीणा साहब इससे पहले भाजपा में थे। भाजपा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया। जनाब बागी हो गये और अपने साथ अपनी पत्नी और दो अन्यों को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़वा दिया। और कमाल की बात ये कि ये चारों ही चुनाव जीत गये। अब कांग्रेस को तो पूरे १०० विधायक मिले नहीं, तो उन्हें निर्दलियों का साथ लेना था। सो पेशकश की गई किरोड़ी लाल जी से। इन्होंने खुद तो मंत्री पद नहीं लिया पर अपनी पत्नी को जरूर दिलवा दिया। ये लोकतंत्र की मजबूरी है क्या? लोगों ने ऐसा क्या देखा गोलमा देवी में? क्या लोग अभी भी नहीं समझे कि हमें समझदार और शिक्षित व्यक्ति नेता के रूप में चाहिये? क्या उम्मीदवार और मंत्री बनने के लिये कितनी शिक्षा कम से कम होनी चाहिये,ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जाना चाहिये? ये नेता लोग तो करेंगे नहीं। इनका अपना खुद का नुकसान जो होगा। कांग्रेस और गहलोत सरकार की यह कैसी मजबूरी? सरकार बनाना इतना जरूरी कि गोलमा देवी को मंत्री पद दे दिया? मुझे कांग्रेस सरकार से ज्यादा गुस्सा लोगों पर आ रहा है। क्या गहलोत सरकार के पास और कोई रास्ता नहीं बचा था? क्या लोगों को अपने क्षेत्र व प्रदेश की तरक्की नहीं चाहिये? हमें अब ये जागरूकता फैलानी चाहिये ऐसे लोग हमारे नेता न बनें। फ़ैसला हमें लेना है।
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