भूले बिसरे गीत के पहले अंक में प्यासा फ़िल्म के गीतों को सुना। आज के अंक में चार गीत ले कर आया हूँ एक बार फिर श्वेत-श्याम युग से। ये गीत आज भी नये से लगते हैं और इसलिये शायद इन्हें सदाबहार गीतों का दर्जा दिया गया है। रेड एफ़.एम को यदि छोड़ दें (क्योंकि ये बाप के जमाने के गाने नहीं सुनाते) तो तकरीबन सभी एफ़.एम वाले पुराने गीतों का एपिसोड जरूर सुनाते हैं।
क्योंकि गीत को मशहूर और सदाबहार बनाने में इसके पीछे के कलाकार यानि गायक, गीतकार व संगीत कार का भी पूरा योगदान होता है इसलिये हर गीत के साथ इसको मशहूर बनाने वाले पर्दे के पीछे की उन महान हस्तियों के भी नाम दिये गये हैं।
गीत १.
मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया...हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया।
इस गीत के बोलों को यदि आत्मसात कर लिया जाये तो जीने की कला आ जाये!!!
गीत २. ये मेरा दीवानापन है
फ़िल्म : यहूदी (1958)
गायक : मुकेश
संगीत: शंकर, जयकिशन
गीतकार: शहरयार
कलाकार: दिलीप कुमार, मीना कुमारी
गीत ३. तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी
गीत ४. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार...
मुकेश की आवाज़ का जादू सर चढ़ कर बोलता है। और ये गीत दिल के अंदर तक छू कर जीना सिखा जाता है!!!
फ़िल्म: अनाड़ी
गीतकार: शैलेंद्र
संगीत: शंकर जयकिशन
गायक: मुकेश
आने वाले अंकों में श्वेत - श्याम युग जारी रहेगा और एक बार फिर लेकर आयेंगे सदाबहार गीत (दादाजी के जमाने से)। कुछ तो बात थी उन गीतों में... आपका क्या ख्याल है?
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क्योंकि गीत को मशहूर और सदाबहार बनाने में इसके पीछे के कलाकार यानि गायक, गीतकार व संगीत कार का भी पूरा योगदान होता है इसलिये हर गीत के साथ इसको मशहूर बनाने वाले पर्दे के पीछे की उन महान हस्तियों के भी नाम दिये गये हैं।
गीत १.
मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया...हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया।
इस गीत के बोलों को यदि आत्मसात कर लिया जाये तो जीने की कला आ जाये!!!
फ़िल्म : हम दोनों (1961)
गायक : मो. रफ़ी
संगीत: जयदेव
गीतकार: साहिर लुधियानवी
गीत २. ये मेरा दीवानापन है
फ़िल्म : यहूदी (1958)
गायक : मुकेश
संगीत: शंकर, जयकिशन
गीतकार: शहरयार
कलाकार: दिलीप कुमार, मीना कुमारी
गीत ३. तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी
गायक: मुकेश
संगीत: रोशन
गीतकार: साहिर लुधियानवी
फ़िल्म : दिल ही तो है।
गीत ४. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार...
मुकेश की आवाज़ का जादू सर चढ़ कर बोलता है। और ये गीत दिल के अंदर तक छू कर जीना सिखा जाता है!!!
फ़िल्म: अनाड़ी
गीतकार: शैलेंद्र
संगीत: शंकर जयकिशन
गायक: मुकेश
आने वाले अंकों में श्वेत - श्याम युग जारी रहेगा और एक बार फिर लेकर आयेंगे सदाबहार गीत (दादाजी के जमाने से)। कुछ तो बात थी उन गीतों में... आपका क्या ख्याल है?