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Saturday, April 13, 2013

ऋग्वेद से जानें कितनी है प्रकाश की गति Rigveda - Speed of Light

वेद यानि ज्ञान। हमारे चार वेद ज्ञान का भंडार हैं। विज्ञान, गणित, जीवन जीने का रहस्य, ईश्वर, आध्यात्म सब कुछ है इनमें।

वेदों में सबसे पुराना है ऋग्वेद है। क्या आप जानते हैं कि ऋग्वेद में सूर्य की प्रकाश की गति कितनी बताई हुई है? 2202 योजन प्रति आधा निमेष।

1 योजन = 9 मील और 16/75 सेकंड होता है एक निमेष।

इसका मतलब हुआ 8/75 सेकंड में 2202 * 9 मील या कहें कि 1 सेकंड में 2202*9/8*75 मील।

ये उतना ही बैठेगा जितना आज हमें किताबों में बताया जाता है। यानि 1,86,000 मील प्रति से. प्रकाश की गति नापने के लिये  आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से तैयार यंत्रों की सहायता ली जाती है। उसी गति को हमारे ऋषियों ने उस समय के वैज्ञानिक आधार से निकाला था। कैसे किया ये तो रहस्य है। लेकिन इतना तय है कि उस काल का विज्ञान हमारे आज के समय से कहीं ज्यादा आगे था। जिस ईश्वर की खोज आज हमारे वैज्ञानिक कर रहे हैं उसी ईश्वर को ऋषियों ने योग व ज्ञान के आधार पर जान लिया था।

आप को जहाँ से भी इस तरह की वैदिक जानकारी पता चले कृपया अवश्य बाँटें। एक दिन ऐसा आना चाहिये कि वेदों को स्कूलों में पढ़ाया जाये।

जय हिन्द
वन्दे मातरम
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Friday, January 20, 2012

वैदिक गणित, भाग -३, निखिलंसूत्र और ऊर्ध्वतिर्यग्भाम Vedic Mathematics - Multiplication using Nikhilam-Sutra And Urdhvatiryagbhyam Sutra

वैदिक गणित के पिछले अंक:
वैदिक गणित की एक नई श्रूंख्ला - भाग एक Vedic Mathematics Series - Learn Un-Conventional ways of Multiplication Division

वैदिक गणित की श्रृंखला, भाग-दो ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम का एक उदाहरण Learning Unconventional Methods - Vedic Mathematics Part -2

वैदिक गणित के पहले दो अंकों में हमने जाना कि कितनी सरलता से हम बड़े अंकों का गुणा (Multiply) कर सकते हैं। हमने उन Theorems की लिस्ट भी देखी जिनकी सहायता से हम बड़ी से बड़ी कैलकुलेशन भी सेकंड में कर सकेंगे। वेद ज्ञान का सागर है और इसी सागर की एक बूँद है वैदिक गणित। वैदिक गणित के सोलह सूत्रों को जानने की कोशिश जारी रहेगी।

आज इस अथाह सागर की एक बूँद से लेकर आये हैं Multiplication के ही कुछ Shortcuts. इसमें निखिलंसूत्र और ऊर्ध्वतिर्यग्भाम की सहायता से हम Shortcuts को समझेंगे।

निखिलंसूत्रं के कुछ टिप्स :

मान लीजिये आपने 7 का square निकालना है:

चूँकि 7 के लिये 10 को Base माना जायेगा अत: 10 में से 7 जितना कम होगा उसे 7 से उतना ही घटायेंगे.. उदाहरण से समझ आ जायेगा।

(7 - 3)/(3*3) = 4/9 = 49
6^2 = (6-4)/(4*4) = 2/16=(2+1)/6  = 36
8^2 = (8-2)/(2*2) = 6/4 = 64


12^2 = (12 + 2)/(2*2) = 14/4 = 144
14^2 = (14+4)/(4*4) = 18/16 = (18 + 1) / 6 = 196

इन सभी उदाहरणों में क्योंकि 10 को base माना गया है इसलिये "/" के दाईं और एक ही अंक आयेगा और दाईं संख्या में जो अंक दहाई का होगा यानि 10th place का होगा उसको बाईं संख्या में जोड़ दिया जाता है।

19^2 = (19 + 9 )/ (9 * 9 )= 28/81 = (28 + 8) /1 = 361

आगे जानते हैं एकादिकेन पूर्वेण की सहायता से 5 पर समाप्त होने वाली किसी भी संख्या का Square कैसे निकाला जाता है:
करना केवल इतना है कि "/" के बाद के अंक हमेशा 25 रहेंगे और इसके पहले के अंक के लिये 5 से पहले जो संख्या है उसमें एक जोड़ कर उसी संख्या से Multiply करना होगा।
15 के लिये 1 को 2 से और 65 के लिये 6 को 7 से।


15 ^ 2 = (1 * 2) / 25 = 225
25 ^ 2 = (2 * 3)/25 = 625
35 ^ 2 = (3 * 4) / 25 = 1225
75 ^ 2 = (7 * 8)/25 = 5625

135 ^ 2 = (13 * 14)/25 = 182/25 = 18225
195 ^ 2 = (19 * 20)/25 = 38025


इसी तरह हम उन संख्याओं को भी Multiply कर सकते हैं जिनके आखिरी के अंकों का जोड़ 10 बनता है और पहले का अंक बराब्रर है। जैसे:

27 * 23 | इसमें 7 + 3 = 10 और पहला अंक 2 ही है। इसलिये:
(2 * 3)/ (7 * 3) = 6 / 21 = 621

96 * 94 = (9 * 10)/(6 * 4) = 90/24 = 9024
98 * 92 = (9 * 10) / (8 * 2) = 9016
87 * 83 = (8 * 9) / (7 * 3) = 72/21 = 7221
114 * 116 = (11 * 12 )/ (4 * 6) = 132/24



ऊर्ध्वत्रियाक सूत्रं

10th place के दोनों अंकों को गुणा करें, (Top-Left * Right-Bottom) + (Bottom-Left * Top-Right) और दोनों संख्याओं के आखिरी अंकों को गुणा करें एवं कुछ इस प्रकार लिखें:

12
11
_________
1 : 1 + 2 : 2 = 1:3:2 = 132


21
14
____________
2 : 8 + 1 : 4  = 2 : 9 : 4 = 294


37
33
___________________

9 : 9 + 21 : 21 = 9  : 30 : 21
यहाँ हमें बीच चाली संख्या का 10th place का अंक सबसे पहली वाली संख्या में जोड़ना है और इसी तरह सबसे दाईं ओर वाली संख्या का अंक बीच वाले में जोड़ना है।
9 : 30 : 21 = 9 + 3 : 0 + 2 : 1 = 1221

73
76
___________________
49 : 42 + 21 : 18 = 49 : 63 : 18 = 56:4:8 = 5548

बड़ी संख्या के Multiplication का हल केवल चंद सेकंड में!!!

इसके पीछे की Algebraic Equation:
(ax^2 + bx + c) by (dx^2 + ex + f)

= adx^4 + (ae + bd)x^3 + (af + be + cd )x^2 + (bf + ce)x + cf for x = 10

109
111
_____________________________________
1 : 1 : 10 : 9 : 9 = 1 : 2 :0 :9 :9 = 12099

582
231
___________________________________
10 : 15 + 16 : 5 + 24 + 4 : 8 + 6 : 2
= 10 :31:33:14:2 = 13:4:4:4:2 = 134442

785
362
__________________________________________
21 : 42 + 24 : 14 + 48 + 15 : 16 + 30 : 10
= 21 : 66 : 77 :46 : 10 = 28:4:1:7:0 = 284170


अगलें अंक में हम जानेंगे कि बड़े बड़े rectangle (चतुर्भुज) का क्षेत्रफ़ल (Area) कैसे निकालें। Sq. ft and Sq. inches will be calculated without calculator :-)
और हम जानेंगे निखिलं सूत्रं के द्वारा किस तरह Division किया जा सकता है।


आपको यह प्रयास कैसा लगा कृपया टिप्पणी अवश्य करें।

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Tuesday, December 27, 2011

वैदिक गणित की श्रृंखला, भाग-दो ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम का एक उदाहरण Learning Unconventional Methods - Vedic Mathematics Part -2

वैदिक गणित से बड़े अंकों का गुणा कितनी तेज़ी से हो जाता है यह हमने पिछले भाग में जाना। "वेद" का अर्थ होता है ज्ञान। हमारे चारों वेद ज्ञान के अथाह समन्दर हैं जिससे हम ज्ञान की असंख्य बूँदें निकाल सकते हैं। इस सागर में डुबकी लगा सकते हैं व जीवन-ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। इन्हीं वेदों में छिपा है वैदिक गणित भी। गणित की जटिलता को बड़ी सरलता से समाप्त करता है यह गणित। हमने जो उदाहरण पिछले भाग में जाना था वह "निखिलं नवतश्चरम दशत:" था।

मेरे मित्र अभिषेक ने जानना चाहा था कि क्या 73*77 को हम जल्दी से गुणा कर सकते हैं?
आइये पहले जानते हैं कि आज के अंग्रेज़ी माध्यम से हम किस तरह से Multiply करते हैं:

    7 3
   *7 7
--------
   51 1
5 11  *
-----------
5621

अब जानते हैं वैदिक गणित का हल:
7 3
7 7
--------------------------
(7*7 बायें के दोनों अंक का गुणा =  49)
(Top-left * Right Bottom) + (Top-Right*Bottom Left) = 7*7 + 7*3 = 70
अंतिम दोनों अंकों का गुणा = 3 * 7 = 21

4 9 0
   7 2 1
------------------------
5621

Algebra की दृष्टि से:

मान लीजिये ये दो संख्यायें हैं: ax+b, cx+d
यानि (ax+b) * (cx+d) = acx^2 + (ad + bc)x + bd

और अब x=10 मानिये और 73*77 का उत्तर निकालिये

इसे ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम कहते हैं।

निखिलं नवतश्चरमं दशत: सूत्र का एक उदाहरण और देते चलें:

मान लीजिये आपको 18 का square निकालना है:
(यहाँ "/" का अर्थ Divide से नहीं है)

18 * 18 = (18 + 8) / (8*8)  = 26/64 = (26+6)/4 = 324 (उत्तर)


इसी तरह:

या 12*12 = (12+2)/(2*2) = 14/4 = 144 (उत्तर)

ऊपर दिये गये उदाहरणों में 18 व 12 संख्यायें 10 से क्रमश: 8 व 2 अधिक हैं इसलिये उनमें 8, 2 जोड़े हैं।

इसी तरह नीचे दिये गये उदाहरणों में संख्यायें 100 से कम हैं।
या 92*92 = (92 - 8)/(8*8) = 84/64 = 8464
96*96 = (96-4)/(4*4) = 92/16 = 9216

989*989 = (989-11)/(11*11) = 978/121 = 978121 (उत्तर) 
कितना समय लगा??? पाँच सेकंड? या पाँच मिनट.. कैलकुलेटर से भी जल्दी है यह!!!!

988*988 = (988-12)/(12*12)= 976/144 = 976144

आने वाले अंकों में हम हर सूत्र को विस्तार में जानेंगे।

वैदिक गणित के सोलह सूत्र इस प्रकार हैं:

१. एकाधिकेन पूर्वेण Recurring Decimals
२. निखिलं नवतश्चरमं दशत: (Multiplication/Division)
३. ऊर्ध्वतिर्यग्भ्यां (Multiplication/Division of Quadratic Numbers)
४. परावर्त्य योजयेत (Division, Partial Fractions)
५. शून्यं साम्यसमुच्चये (Simple Equation, Cubic Equations, Quadratic Equations Find x types)
६. (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत (Factorization)
७. संकलनव्यवकलनाभ्यां (Factorization/H.C.F)
८. पूरणापूरणाभ्यां Biquadratic equations, Multiple Simultaneous equations (Three equations, three variables)
९. चलनकलनाभ्यां
१०. यावदूनम (Squaring, Cubing etc)
११. व्यष्टिसमष्टि
१२. शेषाण्यंकेन
१३. सोपान्त्यद्वयमन्तयं
१४. एकन्यूनेन पूर्वेण
१५. गुणितसमुच्चय:
१६. गुणकस्मुच्चय: (Factorization and Differential Calculus)

ऊपर दिये गये सूत्रों की मदद से हम Multiplication, Division, Partial Fractions, Square, Cube, Quadratic Equations, Simple equations, Cubic equations, factorization, H.C.F, Differential Calculus, Square root, Cube roots, Pythagoras Theorem, Analytical Conics व Apollonius' Theorem जैसे जटिल Topics से गुजरेंगे।

आशा है आपको यह प्रयास पसंद आयेगा। चूँकि मैं भी नया ही सीख रहा हूँ तो चूक होने पर क्षमा कीजियेगा। सहयोग मिलता रहा है तो हम मिलकर इस प्राचीन गणित को फिर से जीवित कर सकेंगे। आप भी बच्चों को ये "तेज़" गणित सिखायें।

भाग एक : वैदिक गणित की एक नई श्रूंख्ला - भाग एक Vedic Mathematics Series - Learn Un-Conventional ways of Multiplication Division

जय हिन्द
वन्देमातरम
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Tuesday, December 13, 2011

वैदिक गणित की एक नई श्रूंख्ला - भाग एक Vedic Mathematics Series - Learn Un-Conventional ways of Multiplication Division

भारत का इतिहास व इसकी सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। कोई वस्तु जितनी पुरानी होती जाती है उतने ही उसके टूटने व खराब होने के आसार बढ़ते जाते हैं। परन्तु आज भी भारत यदि अपने स्वाभिमान के साथ टिका हुआ है तो उसका कारण इस देश का इतिहास ही है। जब हम देखते हैं पश्चिम के लोग आध्यात्मिकता के लिये भारत का रूख करते हैं तो गर्व का अनुभव होता है। आध्यात्मिकता ही आज एकमात्र रास्ता है पृथ्वी व विश्व के टिके रहने का। हिन्दू धर्म में आध्यात्मिकता की जो बातें हैं व सीख है उससे पूरा विश्व आकर्षित होता है। भारतीय इतिहास ने राम व कृष्ण को देखा है जो मर्यादा में भी रहते हैं और आदि व अनन्त का रहस्य भी बताते हैं। हमने चरक व सुश्रुत को भी देखा है जिन्होंने शल्य चिकित्सा यानि चीरफ़ाड़ के ऑप्रेशन में महारत हासिल की। आज की भाषा में बात करूँ तो वे उस समय के बहुत बड़े सर्जन थे। हजारों वर्ष पूर्व के सर्जन!! हमने वीर शिवाजी को देखा है, हमने लक्ष्मी बाई जैसी वीरांगना को भी देखा जो महज तेईस बरस में अंग्रेजों को दाँतों तले उंगलियाँ दबाने पर मजबूर किया। हमने भगत सिंह को देखा, हमने मोहनदास करमचंद गाँधी को भी देखा, हमने स्वामी दयानन्द व राजा राम मोहन राय को देखा जिन्होंने हिन्दू धर्म की कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। ऐसा ही शायद ही किसी धर्म में होता हो जब वे स्वयं अपनी गलतियों से सीखें व उसे सुधारने का प्रयास करें। ऐसे साधुओं को मेरा प्रणाम। हमने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया। मुगलों, तुगलकों, लोदियों व अंग्रेज़ों का डटकर सामना किया।

हमारे देश में गर्व करने के लिये व सीखने के लिये इतना सब कुछ है फिर भी जब हम पश्चिम का मुँह ताकते हैं तो हैरानी होती है। दरअसल बात यह है कि हम अपना इतिहास भूल चुके हैं। या यूँ कहें कि इतिहास जानते ही नहीं। बराक ओबामा जब कहते हैं आज का विज्ञान भारत के इतिहास में दिये गये वैज्ञानिक उपलब्धियों पर टिका हुआ है तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है। हमने शून्य दिया इस पर हमें गर्व होना चाहिये। जब हमने चिकिसा प्रणाली दी तब गर्व होना चाहिये। जब हमने Trigonometry का सिद्धांत दिया तब गर्व होना चाहिये। मैंने जब नारद पुराण के कुछ पन्ने पलटे तो मैं दंग रह गया कि उसमें ज्योतिष सिखाया गया है और उसमें Trigonometry की Pythagoras Theorem भी है और Heights & Distances के उदाहरण भी। हमें अपने वेदों व उपनिषदों पर गर्व होना चाहिये जिन्होंने आज के विज्ञान की नींव रखी। हमें अपने पूर्वजों पर गर्व होना चाहिये। हमें गीता पर गर्व होना चाहिये जो आज के आध्यात्मिकता की नींव है।

आज से धूप छाँव पर वैदिक गणित का आरम्भ कर रहा हूँ। मैंने अभी हाल ही में इसे पढ़ना शुरू किया और मैं शुरू के कुछ पन्ने पढ़ कर ही हैरान हो गया हूँ। मैं चाहता हूँ कि इस बेहतरीन तकनीक को सभी के साथ बाँटा जाये और सरकार से बार बार अनुरोध करूँगा कि छोटे बच्चों को इसकी शिक्षा दी जाये। ये विदेशी तकनीकों से बिल्कुल अलग है और बेहद सरल है। इसके किसी भी Calculation के लिये आपको केवल पाँच तक का ही पहाड़ा (Table) आने की जरूरत है।

वैदिक गणित सोलह सूत्रों से बना है।

आज एक उदाहरण से इस श्रृंख्ला का प्रारम्भ कर रहा हूँ।

मान लीजिये आपको 8 x 7 निकालना है।
आप कहेंगे कि इसका जवाब 56 है। बिल्कुल सही। लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा कि केवल 5 तक का ही Table आने की आवश्यकता है।

8 और 10 में 2 का अंतर है व 7 और 10 में 3 का अंतर है। इन्हें कुछ इस तरह से लिखें:

8   -  2
7   -  3

अब 8 में से 3 को (8-3 = 5)या फिर 7 में से 2 (7 - 2 = 5) को घटायें।
और 2 * 3 निकालें...(2*3=6)  और कुछ इस तरह से लिखें:

8 2
7 3
(8-3)     (2*3)
5 6

जवाब आपके सामने है: 56

इसी तरह से
7 x 6 = 42

7 3
6 4
(6-3)         (3*4)
3 12 (अब इसमें से 1 को 3 में जोड़ें)

उत्तर : 42


इसे आप 100 के Base तक ले जा सकते हैं.. मसलन
99 * 88

99 1
88 12

(88-1) (1*12)
87 12

= 8712

इस प्रश्न का उत्तर निकालने के लिये आपको ज्यादा से ज्यादा 5 सेकंड लगेंगे... वहीं यदि आप किताबी तरीके से इसका उत्तर निकालने का प्रयास करें तो??? शर्त लगा सकता हूँ तीन से चार गुना अधिक समय लगेगा..
जो आपने ऊपर सूत्र जाना है वह है निखिलं नवतश्चरम दशत: । जगद्गुरू स्वामी श्री भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज (1884-1960) का धन्यवाद जिन्होंने वैदिक गणित को सोलह सूत्रों में पिरो कर हम तक पहुँचाया है।

यह तो अभी शुरूआत है। जैसे जैसे मैं आगे के पन्ने पढूँगा मैं आपके साथ बाँटता रहूँगा।

जय हिन्द
वन्देमातरम
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदापि गरीयसी।
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