नोबेल पुरस्कार-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार। इसकी शुरुआत वर्ष 1901 से हुई और इसे एल्फ़्रेड नोबेल के नाम पर रखा गया। नोबेल स्वीडन के निवासी थे व डायनामाईट के आविष्कारक। नोबेल पुरस्कार भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य और शांति के लिये दिये जाते हैं।
आज हम बात करेंगे उन भारतीयों की जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। सर्वप्रथम नाम आता है गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का। टैगोर को साहित्य के लिये 1913 में पुरस्कृत किया गया। वे सम्मान पाने वाले पहले एशियाई भी रहे। रवींद्रनाथ (7 मई 1861 – 7 अगस्त 1941) बंगाली कवि, संगीतकार, लेखक व चित्रकार थे। गीतांजलि के लेखक ने महज आठ वर्ष की उम्र से ही कवितायें लिखनी शुरु कर दी थी। वे एक ऐसी हस्ती रहे जिन्होंने हिन्दुस्तान और बंग्लादेश-दो देशों के लिये राष्ट्रगान लिखा।
दूसरा नाम आता है सर चंद्रशेखर वेंकटरमन का। सर सी.वी रमन (7 नवम्बर 1888 - 21 नवम्बर 1970) ने भौतिकी के क्षेत्र में यह सम्मान 1930 में हासिल किया। जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है तब उसकी वेवलैंथ (तरंग की लम्बाई) में बदलाव आता है। इसी को रमन इफ़ेक्ट के नाम से जाना गया।
हरगोबिंद खुराना (भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक) उन्हें चिकित्सा के लिये नोबेल मिला। खुराना ने मार्शल व. निरेनबर्ग और रोबेर्ट होल्ले के साथ मिलकर चिकित्सा के क्षेत्र में काम किया। उन्हें कोलम्बिया विश्वविद्यालय की ओर से 1968 में ही होर्विट्ज़ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। वे 1966 में अमरीका के नागरिक बने।
अल्बानिया मूल की भारतीय मदर टेरेसा (26 अगस्त 1910 - 5 सितम्बर 1997) को 1979 में शांति नोबेल पुरस्कार मिला। उनका असली नाम एग्नेस गोन्शा बोजाज़्यू था। उन्होने 1950 में मिशनरी ऑफ़ कोलकाता की स्थापना की। 45 बरसों तक उन्होंने अनाथ व गरीब बीमार लोगों की सेवा करी।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिकी के लिये समानित किया। वे भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक थे। उन्होंने तारों के क्षेत्र में खोज करी। वे सर सी.वी रमन के भतीजे थे। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय में 1937 से 1997 तक काम किया। वे 1953 में अमरीकी नागरिक बने।
वर्ष 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने अकाल में भोजन की व्यवस्था के लिये अपनी थ्योरी दी। फ़िलहाल वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर के तौर पर कार्यरत हैं। ऑक्सब्रिज विश्वविद्यालय के शीर्ष पर काबिज होने वाले वे प्रथम भारतीय ही नहीं अपितु प्रथम एशियाई भी हैं। पिछले चालीस बरसों से उनकी तीस से अधिक भाषाओं में उनकी पुस्तकें छप चुकी हैं।
भारतीय मूल के अमरीकी वेंकटरमन रामाकृष्ण को 2009 में रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल मिला। उन्हें सेट्ज़ और योनाथ के साथ ही नोबेल प्राप्त हुआ। वे कैम्ब्रिज में अभी MRC Laboratory Of Molecular Biology में हैं।
कुल मिलाकर बात करें तो विशुद्ध रूप से रवींद्रनाथ टैगोर, सी.वी. रमन व अमर्त्य सेन ही भारतीय हैं जिन्हें नोबेल मिला है। बाकि सभी या तो विदेशी नागरिक रहे या विदेशी मूल के भारतीय नागरिक।
वैसे विडम्बना यह भी कि विनाश की जड़ डायनामाईट के आविष्कारक के नाम पर नोबेल का शांति पुरस्कार मिलता है।
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आज हम बात करेंगे उन भारतीयों की जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। सर्वप्रथम नाम आता है गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का। टैगोर को साहित्य के लिये 1913 में पुरस्कृत किया गया। वे सम्मान पाने वाले पहले एशियाई भी रहे। रवींद्रनाथ (7 मई 1861 – 7 अगस्त 1941) बंगाली कवि, संगीतकार, लेखक व चित्रकार थे। गीतांजलि के लेखक ने महज आठ वर्ष की उम्र से ही कवितायें लिखनी शुरु कर दी थी। वे एक ऐसी हस्ती रहे जिन्होंने हिन्दुस्तान और बंग्लादेश-दो देशों के लिये राष्ट्रगान लिखा।
दूसरा नाम आता है सर चंद्रशेखर वेंकटरमन का। सर सी.वी रमन (7 नवम्बर 1888 - 21 नवम्बर 1970) ने भौतिकी के क्षेत्र में यह सम्मान 1930 में हासिल किया। जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है तब उसकी वेवलैंथ (तरंग की लम्बाई) में बदलाव आता है। इसी को रमन इफ़ेक्ट के नाम से जाना गया।
हरगोबिंद खुराना (भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक) उन्हें चिकित्सा के लिये नोबेल मिला। खुराना ने मार्शल व. निरेनबर्ग और रोबेर्ट होल्ले के साथ मिलकर चिकित्सा के क्षेत्र में काम किया। उन्हें कोलम्बिया विश्वविद्यालय की ओर से 1968 में ही होर्विट्ज़ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। वे 1966 में अमरीका के नागरिक बने।
अल्बानिया मूल की भारतीय मदर टेरेसा (26 अगस्त 1910 - 5 सितम्बर 1997) को 1979 में शांति नोबेल पुरस्कार मिला। उनका असली नाम एग्नेस गोन्शा बोजाज़्यू था। उन्होने 1950 में मिशनरी ऑफ़ कोलकाता की स्थापना की। 45 बरसों तक उन्होंने अनाथ व गरीब बीमार लोगों की सेवा करी।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिकी के लिये समानित किया। वे भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक थे। उन्होंने तारों के क्षेत्र में खोज करी। वे सर सी.वी रमन के भतीजे थे। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय में 1937 से 1997 तक काम किया। वे 1953 में अमरीकी नागरिक बने।
वर्ष 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने अकाल में भोजन की व्यवस्था के लिये अपनी थ्योरी दी। फ़िलहाल वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर के तौर पर कार्यरत हैं। ऑक्सब्रिज विश्वविद्यालय के शीर्ष पर काबिज होने वाले वे प्रथम भारतीय ही नहीं अपितु प्रथम एशियाई भी हैं। पिछले चालीस बरसों से उनकी तीस से अधिक भाषाओं में उनकी पुस्तकें छप चुकी हैं।
भारतीय मूल के अमरीकी वेंकटरमन रामाकृष्ण को 2009 में रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल मिला। उन्हें सेट्ज़ और योनाथ के साथ ही नोबेल प्राप्त हुआ। वे कैम्ब्रिज में अभी MRC Laboratory Of Molecular Biology में हैं।
कुल मिलाकर बात करें तो विशुद्ध रूप से रवींद्रनाथ टैगोर, सी.वी. रमन व अमर्त्य सेन ही भारतीय हैं जिन्हें नोबेल मिला है। बाकि सभी या तो विदेशी नागरिक रहे या विदेशी मूल के भारतीय नागरिक।
वैसे विडम्बना यह भी कि विनाश की जड़ डायनामाईट के आविष्कारक के नाम पर नोबेल का शांति पुरस्कार मिलता है।