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Tuesday, June 28, 2011

अतुल्य भारत : भारत के तीन स्थल जो विश्व धरोहरों में शामिल हैं Kaziranga, Bodh Gaya in UNESCO List : Incredible India

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO / यूनेस्को) द्वारा भारत के 28 स्थलों को विश्व धरोहर घोषित किया हुआ है। यूनेस्को की स्थापना 1972 में हुई। यूनेस्को विश्व के सांस्कृतिक व प्राकृतिक स्थलों की देखरेख के लिये जाना जाता है। यह संगठन अब तक विश्व के 152 देशों में 911 स्थलों की सूची तैयार कर चुका है जिनमें से 711 सांस्कृतिक व 180 प्राकृतिक स्थल हैं।

भारत की बात करें तो 1983 में पहली बार यूनेस्को ने आगरा के किले और अजंता की गुफ़ाओं को विश्व धरोहर में शामिल किया। पिछले 28 वर्षों में पच्चीस से अधिक स्थलॊं को अपनी सूची में डाल चुका है। भारत के 23 सांस्कृतिक व अन्य प्राकृतिक स्थल इस सूची में हैं। इस सूची में आने का आशय यह है कि ये स्थल अति भारतीय संस्कृति व पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील व महत्त्वपूर्ण हैं एवं इन स्थलों के रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार व हर भारतीय को निभानी ही है। हाल ही में जयपुर के जंतर मंतर को भी इस विशिष्ट सूची में शामिल किया गया है।

आज "अतुल्य भारत" श्रूंख्ला में तीन जगहों का विवरण होगा।

काज़ीरंगा अभयारण्य पूर्वोत्तर राज्य असम में स्थित है। ये ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर है; वही ब्रह्मपुत्र जो पूर्वोत्तर राज्यों में जीवन रेखा की तरह है और चीन उसके बहाव को अपने अनुसार मोड़ना चाह रहा है उस पर बाँध बना कर। हो सकता है कि काज़ीरंगा का अस्तित्व भी उसके बहाव पर टिका हो। हालाँकि मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूँ इसलिये कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। यूनेस्को ने इस अभयारण्य को 1985 में विश्व धरोहर घोषित किया। इसकी स्थापना सर्वप्रथम 1908 में भारतीय गैंडों की सुरक्षा को ध्यान में रख कर हुई थी। उसके पश्चात यह वन कईं बदलावों से गुजरा व 1950 में अभयारण्य व 1974 में राष्ट्रीय पार्क बना। काज़ीरंगा एक लाख एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में फ़ैला हुआ है।

यूनेस्को की लिस्ट से दूसरा नाम आता है १९०७ में स्थापित मानस अभयारण्य का। ये भी असम में ही स्थित है व हिमालय की पहाड़ियों के ठीक नीचे भूटान के बॉर्डर को छूता हुआ अनेकानेक पशु-पक्षियों का घर है। अपने अनुपम प्राकृतिक सुंदरता व वन्य जीवों के कारण इसका नाम यूनेस्को ने 1985 में ही चुना। यहाँ 21  से अधिक दुर्लभ प्रजातियाँ हैं जिनमें बाघ, भारतीय गैंडा, जंगली भैंस व हाथी, सुनहरा लंगूर शामिल हैं।
विलुप्त होती प्रजातियों के बारे में जानने के लिये इस लिंक पर जायें।


बौद्ध गया- बारह एकड़ के इस क्षेत्र का सांस्कृतिक व पुरातात्विक महत्त्व है। कहा जाता है कि इस मंदिर को 260 ईसा पूर्व भारत के महान सम्राट अशोक ने बनवाया। हालाँकि परिसर के कुछ मंदिर 1500 वर्ष पूर्व के भी बताये जाते हैं। इसकी संरचना ईंटों से की गई है। राजा सिद्धार्थ गौतम ने महज 35 वर्ष की उम्र में इसी जगह से बौद्ध धर्म का आरम्भ किया था। पूरे विश्व से बौद्ध धर्म के अनुयायी इस पवित्र व ऐतिहासिक मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं। इसकी ऊँचाई करीबन पचास मीटर की है। इसकी संरचना पाँचवीं शताब्दी की है व यह मंदिर भारतीय उप-महाद्वीप का प्राचीनतम मंदिर है। सम्पूर्ण मंदिर परिसर को विश्व धरोहर में रखा गया है।





जय हिन्द
वन्देमातरम



अतुल्य भारत के आने वाले अंकों में यूनेस्को की लिस्ट में शामिल अन्य स्थल व भारत के वे पर्यटन स्थल जो इस धरती को अतुल्य बनाते हैं। आइये इन धरोहरों को संजो कर रखें ताकि भविष्य की पीढ़ी सर उठा कर स्वाभिमान से अपने अतीत को निहार सके-इस धरती को जान सके।


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