Tuesday, June 26, 2018

ट्विटर व फेसबुक पर मेरी क्षणिकाएँ

1.
वो तोड़ते रहे फूलों की टहनियाँ बार बार..
बाद फिर कहते हैं क्यों महकता नहीं है बाग़!


2.
वक्त के हाथ में होते हैं कई जवाब भी.. हम फ़क़त आज में परेशानियों का सबब ढूँढते हैं....

3.
वो तुम ही थे अमावस की उस रात.. जब आसमां को चाँद की कमी नहीं खली..


4.
बस एक मौत के सहारे ही टिकी है ज़िन्दगी 'तपन'


5.
ख़्वाब दिन में जगाते हैं और यादें रात को सोने नहीं देतीं..

#तपन


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