चिकित्सा पर्यटन की दृष्टि से भी राज्य जाना जाता है और एशिया के कुछ बड़े अस्पताल भी इसी राज्य में हैं।
महाबलीपुरम चेन्नई से महज साठ किलोमीटर की दूर स्थित एक तटीय शहर है। सातवीं शताब्दी में पल्लव शासन के दौरान यह बंदरगाह के तौर पर इस्तेमाल की जाती थी। कहा जाता है कि इसका नाम पल्लव राजा नरसिम्हावरमन ने रखा जो पहले ममल्लापुरम और अब यह महाबलीपुरम बन गया है। पल्लव शासन में महा-मल्ला (कुश्ती) एक प्रिय खेल मानी जाती थी। इसके अधिकतर ऐतिहासिक स्थल सातवीं से नौवीं शताब्दी के बीच ही बने।
महाबलीपुरम के मंदिर महाभारत काल में हुई अनेकों घटनाओं को दर्शते हैं। ये मंदिर नरसिम्हावर्मन व राजसिम्हावर्मन ने बनाये जो चट्टानों को काट कर बनाये गये और उस समय की कारीगरी की खासियत रही।
महाबलीपुरम शहर को अंग्रेजों ने आकर 1827 में बसाया।
तिरुवल्लुवर की प्रतिमा (कन्याकुमारी) |
येर्कोड, कोडाइकनाल, उदागामंडलम (ऊटी), वलपरई, येलगिरी इत्यादि प्राकृतिक सुंदरता बिखेरते हुए अत्यन्त विहंगम हिल स्टेशन हैं। ऊटी से सटकर है कुन्नूर जो चाय के बागानों के लिये मशहूर है। ऊटी में ही अनेकों झील, झरने हैं। यदि आप प्रकृति को नज़दीक से देखना चाहते हैं तो इन हिल स्टेशनों पर अवश्य जायें। कोयम्बटूर सबसे नज़दीक एयरपोर्ट है। तमिलनाडु में कईं जीव अभयारण्य भी हैं। पिचावरम में विश्व के दूसरा सबसे बड़ा सदाबहार वन है।
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पिचावरम के घने जंगल |
तमिलनाडु में प्राकृतिक सुंदरता भी है, ऐतिहासिक मंदिर-स्थल, वन-जीव-समुद्र भी है। यानि पर्यटन की दृष्टि से इस राज्य में आपको सबकुछ मिलेगा शायद इसलिये इस राज्य में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
अतुल्य भारत की यह श्रृंख्ला आगे भी जारी रहेगी। हिन्दुस्तान नहीं देखा तो क्या देखा।
जय हिन्द।
वन्देमातरम।