१)
मीलों दूर तक
फैले हुए समुन्द्र की
अनगिनत विशाल लहरें,
आपस में टकराती हुई,
लड़ती, झगड़ती हुई,
किनारे की ओर
तड़पती हुई आती हैं,
फिर टकराकर चली जाती हैं,
कुछ वहीं दम तोड़ देती हैं
कुछ फिर इकट्ठे होकर
पुराने वेग से दौड़ कर आती हैं
फिर वही तेजी, फिर वही शोर,
जाने कहाँ से ये लहरें
इतनी ताकत लेकर आती हैं?
२)
ये लहरों की तड़प,
ये टकराव,
ये तो बस है
चन्द्रमा का आकर्षण
जो खीच लेता है
लहरों को अपनी ओर,
और ऊँची,
और ऊँची उठती हैं,
चाँद का आलिंगन करने को,
नई जान आ जाती है
विशाल सागर में,
ऊँचा उठता है छू लेने को आकाश,
फिर भी पूछते हो
कि ये ताकत कहाँ से लाता है!!
ये प्रेम ही तो है...
ये प्रेम ही तो है...
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मीलों दूर तक
फैले हुए समुन्द्र की
अनगिनत विशाल लहरें,
आपस में टकराती हुई,
लड़ती, झगड़ती हुई,
किनारे की ओर
तड़पती हुई आती हैं,
फिर टकराकर चली जाती हैं,
कुछ वहीं दम तोड़ देती हैं
कुछ फिर इकट्ठे होकर
पुराने वेग से दौड़ कर आती हैं
फिर वही तेजी, फिर वही शोर,
जाने कहाँ से ये लहरें
इतनी ताकत लेकर आती हैं?
२)
ये लहरों की तड़प,
ये टकराव,
ये तो बस है
चन्द्रमा का आकर्षण
जो खीच लेता है
लहरों को अपनी ओर,
और ऊँची,
और ऊँची उठती हैं,
चाँद का आलिंगन करने को,
नई जान आ जाती है
विशाल सागर में,
ऊँचा उठता है छू लेने को आकाश,
फिर भी पूछते हो
कि ये ताकत कहाँ से लाता है!!
ये प्रेम ही तो है...
ये प्रेम ही तो है...