पिछले वर्ष हिन्दयुग्म ने संगीत के क्षेत्र में एक शुरूआत की, जिसका नाम रखा गया-आवाज़। वो आवाज़ जिसके माध्यम से नये संगीतकारों, गीतकारों व गायकों को एक मंच मिल सके जिससे ये सभी प्रतिभावान चेहरे लोगों के सामने आ सकें व अपनी कला प्रदर्शित कर सकें।
पहले इस ब्लाग का मकसद था कविताओं व कहानियों का पोडकास्ट। ऐसा प्रयोग शायद ही कभी किसी ब्लाग या किसी साइट ने किया हो। उसके पश्चात इसका दायरा बढ़ने लगा। सुबोध साठे व ऋषि जैसे गायक व संगीतकार आगे आये। दिसम्बर २००७ में शुरू हुए आवाज़ के मंच पर हर सप्ताह नये चेहरों की प्रतिभा सामने आने लगी। फरवरी २००८ में हिन्दयुग्म ने अपना पहला एल्बम पहला सुर प्रगति मैदान में लांच किया। ये भी ब्लागिंग के इतिहास में पहली मर्तबा हुआ होगा कि कोई ब्लाग संगीत एल्बम रिलीज़ कर रहा हो। इस एल्बम के गीतों की खास बात यह रही कि ये गीत इंटेरनेट पर ही बनाये गये हैं। कोई व्यक्ति उत्तर भारत का होता तो कोई दक्षिण का तो कोई विदेश से काम करता। इस तरह का विचार और प्रयोग भी अपने आप में अनूठा है।
ये गीत इतने पसंद आये कि ये DU-FM व अमरीका के डैलास में भी सुने गये। दिल्ली में १०२.६ FM पर भी इसके गीतों का प्रसारण हुआ वो हिन्दयुग्म के सदस्यों का इंटरव्यू भी आया।
पहला सुर की कामयाबी के बाद आजकल आवाज़ पर नयी श्रृंख्ला का आरम्भ हुआ है। इसमें पहले वाले गीतकार व संगीतकार तो हैं ही बल्कि नये संगीतकार भी जुड़े हैं। ये पहले से बड़ा कदम है व लोगों द्वारा लगातार सराहा जा रहा है। इसका अंदाज़ा लगातार बढ़ती टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। 'आवाज़' पर १६ साल के संगीतकार भी हैं व संजय पटेल जैसे सलाहकार भी।
अभी रविवार को ही इंटेरनेट पर कवि सम्मेलन हुआ। ये भी अपने आप में अलग व अनूठा प्रयास कहा जा सकता है। इसकी शुरआत रविवार को ही हुई। और अब खबर ये है की पहला सुर के गीतों को वोडाफोन ने अपनी कालर ट्यून की लिस्ट में भी जगह दे दी है। क्या ये 'आवाज़' की सफलता का प्रंमाण नहीं!!
जिस तरह की कामयाबी हिन्दयुग्म की आवाज़ को प्रथम वर्ष में ही मिल गई है उससे इसके भविष्य का अंदाज़ा लगया जा सकता है जो निःसंदेह उज्ज्वल होगा। इंटेरनेट पर हिन्दी ब्लागिंग में हिन्दयुग्म ने अपने पाठकगण व कविता/कहानियों के दम पर पहले ही तहलका मचाया हुआ है और अब संगीत के क्षेत्र में 'आवाज़' भी धूम मचा रही है। अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये 'आवाज़' ब्लागिंग के क्षेत्र में हर पल नया इतिहास रच रही है।
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पहले इस ब्लाग का मकसद था कविताओं व कहानियों का पोडकास्ट। ऐसा प्रयोग शायद ही कभी किसी ब्लाग या किसी साइट ने किया हो। उसके पश्चात इसका दायरा बढ़ने लगा। सुबोध साठे व ऋषि जैसे गायक व संगीतकार आगे आये। दिसम्बर २००७ में शुरू हुए आवाज़ के मंच पर हर सप्ताह नये चेहरों की प्रतिभा सामने आने लगी। फरवरी २००८ में हिन्दयुग्म ने अपना पहला एल्बम पहला सुर प्रगति मैदान में लांच किया। ये भी ब्लागिंग के इतिहास में पहली मर्तबा हुआ होगा कि कोई ब्लाग संगीत एल्बम रिलीज़ कर रहा हो। इस एल्बम के गीतों की खास बात यह रही कि ये गीत इंटेरनेट पर ही बनाये गये हैं। कोई व्यक्ति उत्तर भारत का होता तो कोई दक्षिण का तो कोई विदेश से काम करता। इस तरह का विचार और प्रयोग भी अपने आप में अनूठा है।
ये गीत इतने पसंद आये कि ये DU-FM व अमरीका के डैलास में भी सुने गये। दिल्ली में १०२.६ FM पर भी इसके गीतों का प्रसारण हुआ वो हिन्दयुग्म के सदस्यों का इंटरव्यू भी आया।
पहला सुर की कामयाबी के बाद आजकल आवाज़ पर नयी श्रृंख्ला का आरम्भ हुआ है। इसमें पहले वाले गीतकार व संगीतकार तो हैं ही बल्कि नये संगीतकार भी जुड़े हैं। ये पहले से बड़ा कदम है व लोगों द्वारा लगातार सराहा जा रहा है। इसका अंदाज़ा लगातार बढ़ती टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। 'आवाज़' पर १६ साल के संगीतकार भी हैं व संजय पटेल जैसे सलाहकार भी।
अभी रविवार को ही इंटेरनेट पर कवि सम्मेलन हुआ। ये भी अपने आप में अलग व अनूठा प्रयास कहा जा सकता है। इसकी शुरआत रविवार को ही हुई। और अब खबर ये है की पहला सुर के गीतों को वोडाफोन ने अपनी कालर ट्यून की लिस्ट में भी जगह दे दी है। क्या ये 'आवाज़' की सफलता का प्रंमाण नहीं!!
जिस तरह की कामयाबी हिन्दयुग्म की आवाज़ को प्रथम वर्ष में ही मिल गई है उससे इसके भविष्य का अंदाज़ा लगया जा सकता है जो निःसंदेह उज्ज्वल होगा। इंटेरनेट पर हिन्दी ब्लागिंग में हिन्दयुग्म ने अपने पाठकगण व कविता/कहानियों के दम पर पहले ही तहलका मचाया हुआ है और अब संगीत के क्षेत्र में 'आवाज़' भी धूम मचा रही है। अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये 'आवाज़' ब्लागिंग के क्षेत्र में हर पल नया इतिहास रच रही है।