छोटे बच्चे प्रणव गौड़ द्वारा दीपावली के त्यौहार पर रचित यह बाल-कविता।
प्रणव (कुश) कुलाची हंसराज स्कूल, दिल्ली में तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं और इन्हें शतरंज खेलने का शौक है। इनकी बाल-कवितायें बाल उद्यान पर प्रकाशित होती रही हैं।
दीपों का त्योहार दीवाली।
खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम।
अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
घर-घर सजे , सजे हैं आँगन।
जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग।
लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई ।
देखो देखो दीपावली आई॥
अन्य कवितायें:
इंद्रधनुष- कविता और पेंटिंग
प्रणव गौड़ 'कुश' की होली
गणतंत्र दिवस पर चली छोटी कूची
किस्मस ट्री की पेंटिंग
चाचा नेहरू कक्षा 1 के एक छात्र की दृष्टि में
दिवाली पर एक बच्चे द्वारा बना चित्र
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प्रणव (कुश) कुलाची हंसराज स्कूल, दिल्ली में तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं और इन्हें शतरंज खेलने का शौक है। इनकी बाल-कवितायें बाल उद्यान पर प्रकाशित होती रही हैं।
दीपों का त्योहार दीवाली।
खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम।
अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
घर-घर सजे , सजे हैं आँगन।
जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग।
लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई ।
देखो देखो दीपावली आई॥
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इंद्रधनुष- कविता और पेंटिंग
प्रणव गौड़ 'कुश' की होली
गणतंत्र दिवस पर चली छोटी कूची
किस्मस ट्री की पेंटिंग
चाचा नेहरू कक्षा 1 के एक छात्र की दृष्टि में
दिवाली पर एक बच्चे द्वारा बना चित्र