आज बात करते हैं सहारा के रेगिस्तान की। अफ़्रीका के महाद्वीप में कईं देशों में फ़ैला यहा रेगिस्तान विश्व का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। ये इतना बड़ा है कि उत्तर अफ़्रीका के सभी देशों में यह फ़ैला हुआ है और एक तरह से यह पूरे यूरोप जितना बड़ा है|
अफ़्रीका के जिन 12 देशों में यह फ़ैला हुआ है वे हैं: अल्जीरिया, चाड, मिस्र, एरीत्रिया, लीबिया, माली, मौरिशियाना, मॉरोक्को, नाइजर, सूदान, ट्यूनिशिया व पश्चिमी सहारा। इसकी लम्बाई 4800 किमी है व यह 1800 किमी चौड़ा है। इसका अनुमानित क्षेत्रफल 94 लाख sq.km है जो कि भारत से करीबन तीन गुना अधिक है। यानि हमारे जैसे तीन देश सहारा में समा सकते हैं। अरब के रेगिस्तान से यह चार गुना बड़ा है। चीन का गोबी इसका सातवाँ हिस्सा है व दक्षिणी अफ़्रीका का कालाहारी रेगिस्तान भी इसका दसवाँ हिस्सा ही है।
कैसे आता है भँवर?
जब भी कभी पानी का तेज बहाव किसी भी तरह की रुकावट से टकराता है, उसी समय उसमें कईं तरह के चक्कर बन जाते हैं और पहले से भी अधिक तीव्रता से घूमने लगता है। यही टकराव भँवर पैदा करता है। नदी में ये चट्टान के टकराने मात्र से उत्पन्न हो जाता है जबकि बड़े समुद्र में दो विपरीत दिशा से आने वाली विशाल लहरें इसकी उत्पत्ति का कारण बनती हैं।
यह एक पूर्णत: प्राकृतिक क्रिया है। नार्वे में विश्व के दो सबसे ताकतवर भँवर 37 किमी प्रति घंटा और 28 किमी प्रति घंटा के रफ़्तार से आते हैं।
चलते चलते:
आपने दिल्ली के कनॉट प्लेस के बारे में तो सुना ही होगा। ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया के तीसरे बेटे प्रिंस आर्थर को "ड्यूक औफ़ कनॉट" की उपाधि दी गई थी। कनॉट आयरलैंड में एक जगह का नाम हुआ करता था। उन्हीं के नाम पर आज के सी.पी का नाम रखा गया। इसके आर्किटेक्ट थे रॉबर्ट रसैल और इसका निर्माण 1929 से 1933 के बीच किया गया।
क्या आप जानते हैं कि इस नाम से देहरादून में ही नहीं बल्कि हांगकांग और लंदन में भी जगह हैं। राजनेताओं ने इसका नाम बदल कर राजीव चौक रख दिया। सरकारी कागज़ों में बेशक इसका नाम बदल दिया हो पर दिल्ली के दिल में बना यह लोगों के लिये अभी भी सी.पी ही है।
"क्या आप जानते हैं" के छोटे से स्तम्भ में लम्बा-चौड़ा लेख नहीं अपितु आप के लिये होगी रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी। चाहें इतिहास हो, विज्ञान, भूगोल, घर्म या अन्य कोई भी और विषय हो। यदि आप भी इन विषयों के बारे में कोई जानकारी बाँटना चाहें तो कमेंट अथवा ईमेल के जरिये जरूर सम्पर्क करें।
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अफ़्रीका के जिन 12 देशों में यह फ़ैला हुआ है वे हैं: अल्जीरिया, चाड, मिस्र, एरीत्रिया, लीबिया, माली, मौरिशियाना, मॉरोक्को, नाइजर, सूदान, ट्यूनिशिया व पश्चिमी सहारा। इसकी लम्बाई 4800 किमी है व यह 1800 किमी चौड़ा है। इसका अनुमानित क्षेत्रफल 94 लाख sq.km है जो कि भारत से करीबन तीन गुना अधिक है। यानि हमारे जैसे तीन देश सहारा में समा सकते हैं। अरब के रेगिस्तान से यह चार गुना बड़ा है। चीन का गोबी इसका सातवाँ हिस्सा है व दक्षिणी अफ़्रीका का कालाहारी रेगिस्तान भी इसका दसवाँ हिस्सा ही है।
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नासा द्वारा अंतरिक्ष से लिया गया एक चित्र |
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लीबिया का रेगिस्तान |
जब भी कभी पानी का तेज बहाव किसी भी तरह की रुकावट से टकराता है, उसी समय उसमें कईं तरह के चक्कर बन जाते हैं और पहले से भी अधिक तीव्रता से घूमने लगता है। यही टकराव भँवर पैदा करता है। नदी में ये चट्टान के टकराने मात्र से उत्पन्न हो जाता है जबकि बड़े समुद्र में दो विपरीत दिशा से आने वाली विशाल लहरें इसकी उत्पत्ति का कारण बनती हैं।
यह एक पूर्णत: प्राकृतिक क्रिया है। नार्वे में विश्व के दो सबसे ताकतवर भँवर 37 किमी प्रति घंटा और 28 किमी प्रति घंटा के रफ़्तार से आते हैं।
चलते चलते:
आपने दिल्ली के कनॉट प्लेस के बारे में तो सुना ही होगा। ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया के तीसरे बेटे प्रिंस आर्थर को "ड्यूक औफ़ कनॉट" की उपाधि दी गई थी। कनॉट आयरलैंड में एक जगह का नाम हुआ करता था। उन्हीं के नाम पर आज के सी.पी का नाम रखा गया। इसके आर्किटेक्ट थे रॉबर्ट रसैल और इसका निर्माण 1929 से 1933 के बीच किया गया।
क्या आप जानते हैं कि इस नाम से देहरादून में ही नहीं बल्कि हांगकांग और लंदन में भी जगह हैं। राजनेताओं ने इसका नाम बदल कर राजीव चौक रख दिया। सरकारी कागज़ों में बेशक इसका नाम बदल दिया हो पर दिल्ली के दिल में बना यह लोगों के लिये अभी भी सी.पी ही है।
"क्या आप जानते हैं" के छोटे से स्तम्भ में लम्बा-चौड़ा लेख नहीं अपितु आप के लिये होगी रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी। चाहें इतिहास हो, विज्ञान, भूगोल, घर्म या अन्य कोई भी और विषय हो। यदि आप भी इन विषयों के बारे में कोई जानकारी बाँटना चाहें तो कमेंट अथवा ईमेल के जरिये जरूर सम्पर्क करें।