इसी तरह का विकास मेरे इलाके रानी बाग में भी शुरु हुआ। उसी विकास की दो तस्वीरें आप लोगों के समक्ष रख रहा हूँ।
रानी बाग में एक बहुत पुराना पीपल का पेड था जो कि विकास की भेंट चढ़ गया। बदले में मिला एक फ़ुट ऑवर ब्रिज। जिस जगह इस ब्रिज को बनाया गया है, इस ब्रिज का वैसे तो कोई खास इस्तेमाल होना नहीं है, फिर भी यदि कोई इसके सहारे सड़क पार करना भी चाहे तो आप नीचे की तस्वीर पर एक बार नज़र जरूर डालें।
ट्रांसफ़ॉर्मर पर खत्म होता फ़ुटऑवरब्रिज |
गौर से देखने पर आप पायेंगे कि जहाँ पर ये ब्रिज खत्म हो रहा है उस जगह पर एक बड़ा सा ट्रांसफ़ॉर्मर पहले से ही मौजूद है। अब आप ही बतायें कि यदि कोई चाहे भी तो भी इसका प्रयोग किस तरह कर सकता है?
प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल के पोस्टरों से लदा फ़ुटऑवर ब्रिज |
एक बात और बताते जायें कि इसका उद्घाटन दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माननीय जयप्रकाश अग्रवाल जी अपनी पदयात्रा के दौरान कर चुके हैं। वे यहाँ से गुजरे और इसको चालू करते चले गये।
शायद इसी को विकास कहते हैं।
विकास की एक और झलक आपको दिखाता हूँ। पिछले माह ही धूप-छाँव पर "विलुप्तप्राय: जीवों" के बारे में एक पोस्ट डाली थी। यदि आप ध्यान देंगे तो पायेंगे कि जीवों के विलुप्त होने का मुख्य कारण उनके रहने के स्थान का तेजी से हो रहा क्षरण है। पिछले 20 दिनों से हमारे घर के आसपास एक बंदर का आतंक फ़ैला हुआ है। घर के पीछे जहाँ फ़ुटऑवरब्रिज बना हुआ है उसके साथ ही बहुत सारे पेड़ भी हैं। आजकल वे भी लगातार काटे जा रहे हैं। कहते हैं कि यहाँ से एक सड़क बनाई जायेगी जो गंतव्य स्थानों की दूरी को 15 मिनट तक कम कर देगी। एक तस्वीर उसकी भी देखते चलें। मेरा मानना है कि इन पेड़ों की कटाई के कारण ही ये बंदर सड़क पार आ कर घरों में घुस रहा है।
मुख्य सड़क के पीछे काटे जा रहे पेड़ |
जंगलों की कटाई के कारण ही आजकल तेंदुओं के शहर में घुसने जिसे वाकये बढ़ते जा रहे हैं। पर हम "सभ्य" लोग इन सब बातों से बेखबर केवल एक ही राह पर चलते हैं जिसे हमने अपने लिये "विकास" का नाम दिया है और अपनी "गुमराही" पर "गुमान" करते हुए खुशफ़हमी में जी रहे हैं।
"तस्वीरों में देखिये" जारी रहेगा....
1 comment:
खूब दिल्ली खुमी आपने :)
फीड से सम्बंधित एक और समस्या और उसका समाधान
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