Saturday, November 27, 2010

क्या आप जानते हैं भाग-१- दिल्ली का नाम कैसे पड़ा और २६ नवम्बर क्यों है खास? (माइक्रोपोस्ट) Name of Delhi and Significance of 26 November

"गुस्ताखियाँ हाजिर हैं" की शुरुआत के बाद आज से धूप-छाँव पर आ रहा है एक और नियमित स्तम्भ- "क्या आप जानते हैं"?

"क्या आप जानते हैं"  के छोटे से स्तम्भ में लम्बा-चौड़ा लेख नहीं अपितु आप के लिये होगी रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी। चाहें इतिहास हो, विज्ञान, भूगोल, घर्म या अन्य कोई भी और विषय हो। यदि आप भी इन विषयों के बारे में कोई जानकारी बाँटना चाहें तो कमेंट अथवा ईमेल के जरिये जरूर सम्पर्क करें। 

दिल्ली का नाम कैसे पड़ा?


भारत की राजधानी है दिल्ली। मीडिया वाले कभी इसे दिल वालों की दिल्ली तो कभी दरिंदों की दिल्ली कहकर बुलाते हैं। इसका इतिहास आज से पाँच हजार पहले पांडवों के समय का बताते हैं जब ये पांडवों की राजधानी हुआ करती थी और इसका नाम इंद्रप्रस्थ हुआ करता था। हम ये भी जानते हैं कि अंग्रेजों ने कलकत्ता के बाद 1911 में दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। पर क्या आप जानते हैं दिल्ली का नाम कैसे "दिल्ली" पड़ा कैसे?

दरअसल दिल्ली का नाम कैसे पड़ा इस बारे में कईं तरह की कहानियाँ हैं। ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि वर्ष 50 ईसा पूर्व (BC) में मौर्य राजा हुआ करते थे धिल्लु या दिलु। उन्होंने इस शहर का निर्माण किया और इसका नाम दिल्ली पड़ गया। कुछ कहते हैं कि तोमरवंश के राजा ने इस जगह का नाम "ढीली" रखा क्योंकि राजा धव का बनाया हुआ लोहे का खम्बा कमजोर था और उसको बदला गया। यही "ढीली" शब्द बाद में बदल का दिल्ली हो गया। तोमरवंश  के दौरान जिन सिक्कों की परम्परा थी उन्हें "देहलीवाल" कहा करते थे। तो कुछ जानकार दिल्ली को "दहलीज़" का अपभ्रंश मानते हैं। क्योंकि गंगा की शुरुआत इसी "दहलीज़" से होती है यानि दिल्ली के बाद होती है। कुछ का मानना है कि दिल्ली का नाम पहले धिल्लिका था।

मतलब यह कि जिस दिल्ली को आप और मैं जानते  हैं उसका इतिहास इतना पुराना है कि उसका असली नाम अब कोई नहीं जानता। दिल्ली को "इंद्रप्रस्थ" बुलाये जाने के बारे में आप लोगों का क्या ख्याल है?

२६ नवम्बर क्यॊं है हमारे लिये खास?

२६ नवम्बर २००८ को पाकिस्तानी आतंकियों ने मुम्बई पर हमला किया। उसके बाद से हमारी सरकार यही राग अलाप रही है कि पाकिस्तान को नहीं छोड़ेंगे। अब इस पाकिस्तानी राग की आदत सी पड़ गई है। नये नये मुख्यमंत्री  पृथ्वीराज चौहाण राष्ट्रगान के दौरान वहाँ से चले जाते हैं तो आप समझ सकते हैं कि कितना गम्भीर होकर हमारे राजनेता काम कर रहे हैं और कितना राष्ट्रप्रेम उनके मन में है।

खैर इस २६ नवम्बर को सभी जानते हैं पर एक और २६ नवम्बर हमारे लिये अहम है। 1949 में इसी दिन हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ था जो २६ जनवरी 1950 से लागू किया गया।

2 comments:

आशीष मिश्रा said...

बहोत ही अच्छी जानकारी दी आपने............

neelam said...

इतनी सारी जानकारी साझा करने के लिए शुक्रिया...........

कोई खेद भी नहीं, कोई माफ़ी भी नहीं, इनके साथ तो वही व्यवहार होना चाहिए जो एक देशद्रोही के साथ होता है ..............................
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