२ अक्टूबर २००७:
आज सूर्य की २५ परिक्रमायें पूरी कर ली हैं । यकीन नहीं होता। हर पल इतनी तेज़ी से भागा है पर वक्त पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। ये भागता रहता है और हम हाँफ़ते रह जाते हैं। इन पच्चीस बरसों में खोना पाना चलता ही रहा। ज़िंदगी के इस सफ़र में रिश्ते बनते गये, दोस्त बनते चले गये, छूटते गये। कुछ से थोड़े समय का साथ मिला, कुछ आज भी मेरे साथ हैं। परिवार का साथ हमेशा रहा। बुज़ुर्गों का साथ छूटा पर उनका आशीर्वाद आज भी मेरे साथ है। शायद उनकी दुआओं का ही असर है जो आज का तपन आपके सामने है।मित्रों की सलाह, उनका साथ और परिवार का प्रेम सब को मेरा धन्यवाद व प्रणाम।।
इन सब के बीच एक परमात्मा भी है, जिसमें सारे ब्रह्मंड समाये हुए हैं, जिसमें हम हैं, जिसका अंश हम सब में है, जिसके बिना ये जीवन मुमकिन नहीं हैं। शत शत नमन।
आज तक अगर मुझसे कोई भूल हुई हो या आपमें से किसी का दिल दुखाया हो तो मैं क्षमापार्थी हूँ। आपका साथ व आशीर्वाद मिलता रहे बस यही आशा है।
आज मेरे मन में जो भाव उमड़े हैं उन्हें ३ कविताओं में शामिल करने का प्रयास किया है। कही कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा कीजियेगा। कविताओं में त्रुटि हो सकती है पर भाव आप तक पहुँचे बस यही चाहता हूँ। मेरा मानना है कि आपके मन में भी ये भावनायें कभी न कभी ज़रुर जगी होंगी|
१)बातें भूल जाती हैं यादें याद आती हैं...
जीवन के ये पच्चीस बरस..
कुछ इस तरह से गुजरे,
पलक झपकते ही पल में
एक उम्र गुजरी हो जैसे।।
वो कल ही की बात थी, जो बारिश में नाँव चलाया करते थे,
पिठ्ठू गरम, पकड़म पकड़ाई, खूब चिल्लाया करते थे।
कभी विष अमृत, कभी पोशम पा, कभी ऊँच नीच का पापड़ा,
आँख मिचौली खेलते, कोकलाची गाया करते थे।।
मम्मी पापा के खेल खिलौने,
दादी नानी की कहानियाँ याद आती हैं,
वो ममता भरी गोद याद आती है,
वो मीठी मीठी लोरियाँ याद आती हैं।
नानी का वो खटोला याद आता ही
जिस पर अब मेरी टाँगें भी नहीं आती हैं।
पापा की पीठ पर चढ़ना याद आता है,
बहन से बात बात पर लड़ना याद आता है।
गर्मियों की छुट्टियों में खट्टे मीठे फ़ालसे,
छत पर तारे गिनना याद आता है,
सुबह सैर पर जाना, पार्क में खेलना,
कँधे पर बस्ता टाँगे स्कूल जाना याद आता है
उन बातों को याद करके, दिल आज भी झूम उठता है,
आँखें नम हो जाती हैं
क्या यही ज़िन्दगी है?
ऐसा लगता है मानो, बचपन जाते ही,
ज़िन्दगी खत्म हो जाती है।
ये आज की ही बात है, जब खुद को टटोलता हूँ,
बचपन तलाशता हुआ, समाज को देखता हूँ,
लोग हँसना भूल गये हैं,रोना आता है,
पाना भूल गये हैं, बस खोना आता है|
दूध पी कर बड़े होगे, समझदार बनोगे,
जब छोटे होते थे तो समझाया जाता था
समझदारों की दुनिया से जब वास्ता पड़ा,
ऐसा लगा मानो..
बहलाया जाता था, फ़ुसलाया जाता था।
इन खोखले विचारों की दुनिया में,
जज़बातों का कोई मोल नहीं,
यहाँ झूठी दिखावाट का बाज़ार लगता है,
ईमान व सच्चाई का कोई मोल नहीं।
जीवन के इस मोड़ पर खड़ा मैं,
पल पल का जब हिसाब लगाता हूँ
मेरा बचपन मुझको लौटा दे
ईश्वर से बस यही गुहार लगाता हूँ।
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२) तुम्हारा इंतज़ार है...
जीवन के इस मोड़ पर,
अब एक साथी तलाशता हूँ,
वो खड़ा रहे हर दम साथ,
ऐसा हमसफ़र चाहता हूँ।
जिसका साथ पा कर मैं,
छू लूँ सारे आसमां..
जो रहे संग मेरे हमेशा,
पूरे करे मेरे अरमां।।
एक अज़ीज़ दोस्त बन कर रहे,
हर गलती पर मुझे सुधारे,
गमों की धूप को झेल लें
वो मेरे सहारे, मैं उसके सहारे।
मैं जानता हू शब्द के,
रास्ते अनेक होते हैं
गर मेरी आवाज़ पहुँचे उस तक......
इंतज़ार नहीं होता है अब उसका
मेरे नयन उसकी राह तकते हैं।
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३) तू है आसमां में, तेरी ये ज़मीं है...
तेरी दुनिया में आया हूँ,
तुझे ये शीश झुकाता हूँ।
मानव जन्म मिला जो मुझको
तेरा शुक्र मनाता हूँ।।
भूले से भी कभी किसी से,
न करें कभी बर्ताव बुरा।
कर्म हमेशा नेक करें
सब के लिये निकले दुआ।
यही विनती करता हूँ मैं तुझसे
मुझे हमेशा इंसान बनाये रखना,
ज़िन्दगी रहे या मौत भी मिल जाये कभी
हाथ सर पर हमेशा बनाये रखना||
आभारः तपन शर्मा
7 comments:
oye hoye...
finally 'saathi ki talaash hai'
sahi hai guru!!
I wish surya ki 26th prikrama poori hone se pahale apko, apka hamsafar mil jaye :) ,
janam din bahut bahut mubarak ho :)
is baar to teeno kavitaon par bas ek hi bat ke liye comments milenge :) :)
Kya bhaiyaa....rula diya na acche se..aapki kavita padke meri bhi bahut si yaadein taaza h gai...
sabse badi baat ki aapki yadon me koi banavatipan nahi tha....
vaise main bhi ishwar se ye hi prarthana karungi ki aapko jaldi hi koi aapko samajhne wali saathi mil jae.....
aapki pyari behen:)
Hi..
Belated Happy Birthday..All the three poems are awesome.
You have a nice soul and I pray to God that you can find another nice soul to accompany you soon!!!
Shikha
प्रिय तपन
आपके ब्लाग पर आया सभी रचनाओं को पढ़ा समझा जो समझ सका
इस राष्ट्र को अभी भी वास्तविक आजादी नहीं मिली है। आप जैसे वैचारिक उर्जावान युवाओं की देश को, समाज को बहुत आवश्यकता है
सस्नेह
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
hello bhaiya
BELATED HAPPY B'DAY TO U.....
teeno hi kavitaen bahut achi thi
specially the last one.usne to dil ko chu liya,itni achi thoughts to usi ko aati hain jiska dil bahut saaf hota hai...
keep it up
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