Sunday, November 25, 2007

मेरे बाद-

कभी कभी सोचता हूँ
मेरे बाद कैसे रहोगे?
क्या वही हँसी मजाक होगा,
क्या वैसे ही चुटकुले होंगे?

क्या मैं भुला दिया जाऊँगा,
या हर बात में याद आऊँगा?
सिहरन उठती है पूरे शरीर में,
डर लगता है,
घबरा जाता हूँ जब
बिछड़ने का ख्याल
मन पर हावी होने लगता है!!

क्या इतिहास हो जायेगा
मेरा आज,
क्या भुला दिये जायेंगे
मेरे सब काज,
मेरी आवाज़ अब
नहीं गूँजेगी यहाँ पर,
नहीं गुनगुनाये जायेंगे
मेरे गीत यहाँ पर|

पर लोगों को
आदत हो जायेगी,
मेरे बिना रहने की,
मेरे बिना खाने की,
बिना मेरे घूमने की|

दो चार दिन काम के बहाने
याद आ जाया करूँगा शायद,
पर वक्त से रह जायेगी
बस एक शिकायत-

वक्त जब हँसाता है,
तो रोने क्यों देता है?
जब परायों को अपना बनाता है
तो बिछड़ने क्यों देता है?

बड़ा छलिया है ये वक्त,
मेरी बात ही नहीं सुनता,
आवाज़ देता हूँ,
दो पल तो ठहर कमबख्त

पर क्या कभी रुका है
किसी के लिये ये वक्त?
क्या ऐसे ही चलता रहेगा
ये बेईमान वक्त?
मेरे बाद भी!!

1 comment:

Rahul said...

Really very touching.....bilkul dil se hai bhai...Banjar me Buniyad,Buniyad se Mehal banaya..jab ban gaya to Salam kar aaya!!!