Wednesday, January 2, 2008

"नया साल मुबारक"

अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से नये वर्ष का आगमन हो गया है। मेरी शुभकामनायें हैं कि आप और आपका परिवार सदैव खुश रहें।

साल आता है,
चला जाता है,
और हम फिर खो जाते हैं
नये साल के स्वागत में।

भूल जाते हैं वो नरसंहार-
जिसके हम अब आदी हो गये हैं।
भुला दिये जाते हैं अकाल और बाढ़ से
मरे सैकड़ों लोग,
छोड़ दिया जाता है उन्हें भूखा
रोटी को तरसते लोगों को मिलती है
लाठियाँ, हड़ताल, जेल, बंद।
कभी आरक्षण में जलता है वर्ष,
कभी नंदीग्राम का संग्राम देखता,
कभी हैदराबाद, लखनऊ, बनारस से
दहलता है वर्ष।

फिर भी हम जश्न मनाते हैं
झगडों, दंगों, आतंक, द्वेष के संगीत पर,
और डूब जाते है इस कदर
कि साल की शुरुआत में,
ये देश होता है शर्मसार
गवाह होती है कभी मुम्बई, दिल्ली,
और मुजरिम होते हैं हम-
पर जश्न लगातार जारी है!!

जश्न तो तब होगा
जब "भारत एक है" का नारा
बेमानी नहीं लगेगा,
भारत तो सोने कि चिड़िया कहना
दिखावा नहीं लगेगा,
उस पल जो नया साल आयेगा
जश्न तब होगा
और मैं और आप गर्व से कह सकेंगे
"नया साल मुबारक"

4 comments:

Unknown said...

bahut khoob likha hai sarkar

pallavi paurav said...

very true , agree Boss.

Rajesh Sharma said...

theek hai. we will have to change the system and it will take some time. very good.

renu ahuja said...

सच ही है,
सही मायने में नव वर्ष होगा तब
हिन्द,सोने की चिडिया होगा जब
न शर्मसार होगी हादसों से आंखें
और कश्मीर फ़िर से होगा
खूबसूरती की जन्न्त जब.

आपकी रचना बेहद ऊम्दा है, और काबिले तारीफ़ भी,सीधी बात और सरल शब्द.

और भी लिखते रहिये.
-रेणू.