मित्रों,
हाल हीं में हमारे देश के गृहमंत्री साहब ने जब अफजल और सरबजीत की समानता करी तो रहा नहीं गया। एक देश की खातिर जान की बाजी लगा रहा है तो दूसरा देश द्रोह कर जान ले रहा है। फिर भी दोनों में समानता देखी जा रही है। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कुछ पंक्तियाँ लिख डाली।
आपसे विनती है कि एक बार इसे अवश्य पढ़ें। आपको लगे कि सही कहा है तो कृपया मेरा समर्थन करें। और लगे कि गलत कहा तो भी आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा रहेगी।
राजीव की मृत्यु पर ये मनाते हैं
आतंकवाद विरोधी दिवस,
वादे करे जाते हैं कि आतंक का सामना करेंगे
उग्रवादियों से डटकर मुकाबला करेंगे ,
हम नहीं होने देंगे कोई आतंकी हमला
दाग नहीं आने देंगे देश की अस्मिता पर,
गौरव बना रहेगा दुनिया में हमारा,
हिमालय का ताज रहेगा सर पर
पर ये लोग नहीं बने हैं इस मिट्टी के
तभी तो भूल जाते हैं
भगत सिंह का शहीदी दिवस
उनके हर नेता की बनी है
राजधानी में समाधी
नहीं ख्याल रखा 'आजाद', बिस्मिल की कुरबानियों का
शायद लगता होगा
कि वे सब भी तो थे आतंकवादी!!
आतंकवाद के विरोध पर ये करते हैं
अफजल का बचाव, करते हैं उसका सम्मान
जिसने हमला करवाया था संसद पर
आखिर 'भगत' का ही तो काम दोहराया था (न)!!
जब सरबजीत की तुलना होती है
संसद के हत्यारे से
तब जोरदार आवाज़ उठनी चाहिये विरोध की
देश के हर नुक्कड़, कूचे, गलियारे से
कैसे हिम्मत कर लेता है ये कहने की
इस देश का गृहमंत्री
क्यों बोला नहीं जा रहा
चुप्पी साधे बैठा है प्रधानमंत्री?
जबकि जनता के चुनाव में
दिल्ली, लातूर से हारे हुए हैं दोनों,
नहीं दिया ये हक़ इन्हें
ये बाते करें पाकिस्तान से यारी की
सरबजीत को कहा अफजल
तो देश से गद्दारी की
ये भूल गये कि अफजल
पाकिस्तानी नहीं, हिन्दुस्तानी है
देशद्रोही को फाँसी से नीचे सजा देना
हमको लगता बेमानी है
ये मौका परस्त 'विदेशियों', चापलूसों का दल है
इनके राज में देशद्रोह का गहरा दलदल है
ये देशद्रोही हैं, गद्दार हैं ये,
आतंकवादियों के सरदार हैं ये!!!
10 comments:
भाई तपन, इतना आक्रोश ठीक नहीं| अपना खून खौलाने से अपना ही नुकसान होगा, इन लोगो का कुछ नही बिगडेगा|
मुझे पसंद है तेरे सोचने का नजरिया पर अगर तुझे याद हो तो अभी एक बन्दे को पाकिस्तान ने छोडा और उसने भारत आते ही क्या बोला की वह सच में जासूस था | अब जब यह मुमकिन है तो सरबजीत का भी कोई भरोसा नही |
एक देश की खातिर जान की बाजी लगा रहा है तो दूसरा देश द्रोह कर जान ले रहा है।
बहुत सही कहा मगर हमारे गृहमंत्री को यह बात नहीं पता. अच्छा लिखा है, तेवंर बरकरार रखें.
और नितिन भाई सरबजीत अगर भारत का जासूस है तो क्या उसे छूड़ायें नहीं?
इजराइल से कुछ तो सीखो.
छुदाये बिल्कुल छुदाये, पर अगर हमारे ग्रह मंत्री ने उन्हें compare भी कर दिया तो वह उनका नजरिया है एंड जैसे भारतीयों के लिए अफ़ज़ल आतंकवादी है तो हो सकता है की पाकिस्तानियों के लिए सरबजीत आतंकवादी है .. u never know how people take this issue in Pakistan ... so writing one sided comments does not make us human being though it makes us patriotic ...
नितिन भाई, मैं मानता हूँ कि पाकिस्तानी सरबजीत को आतंकवादी मानते होंगे। पर अफजल पाकिस्तानी नहीं है। तो अफ़जल को माफी देने से पाकिस्तान कैसे खुश हो जायेगा? मुझे तो ये बात समझ नहीं आई।
आपके विचारों का मैं पहले से कायल था,पर आज जन कि आप इतने आक्रामक भी हैं,आपकी आक्रामकता ने दिल जीत लिया.
आलोक सिंह "साहिल"
Tapan bhai, first time I read your blog. I must congratulate you for writing wonderful article. Padne ke baad mai desh-prem ki bhawaana se oooot-proot ho gaya.
keep it up buddy. these small things will make big difference.
भाई मेरी समझ से तो आतंकवादियों की ना ही कोई जात होती है ना ही कोई वतन .. तो इससे कोई फर्क नही पड़ता वह भारत का है या पाकिस्तान का .. वह तो बस मानवजाति का दुश्मन है जिसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए ....
वैसे इसमे कोई दोराये नही है की काफ़ी बडिया लिखते है आप ...आप काफ़ी तरक्की करे ...
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