क्या आप जानते है भारत में चीतों की कितनी संख्या है? 10, 20, 100 या 1000? जी नहीं...10 भी नहीं। बल्कि सरकारी विभाग की मानें तो भारत से चीता पूरी तरह विलुप्त हो चुका है। एक पेय पदार्थ की एड में जब "चीता भी पीता है" देखते हैं तब कभी यह ख्याल नहीं आया कि जिस चीते की ये बात कर रहे हैं वो भारत में है ही नहीं। एक भी नहीं!! ये रौंगटे खड़े कर देने वाली कड़वी सच्चाई है। आज हम चीते की बात जब उठा रहे हैं तब उन जानवरों का भी जिक्र करेंगे जो अब चीते की राह पकड़ चुके हैं। चीते की रफ़्तार को पूरी दुनिया मानती है अब उसी रफ़्तार से इन जंगली पशु-पक्षियों का सफ़ाया भी हो रहा है।
चीता: केवल तस्वीरों में ही देखिये... |
क्या आप जानते हैं भारत में हमारे साथ कम से कम स्तनपायी(Mammals) जीवों की 397 प्रजातियाँ, पक्षियों की 1232, सरीसृपों (Reptiles) की 460, मछलियों की 2546 और कीट-पतंगों की 59, 353 प्रजातियाँ भी निवास करती हैं। भारत 18,664 तरह के पेड़-पौधों का घर भी है। भारत का कुल क्षेत्रफ़ल विश्व का 2.4 प्रतिशत ही है लेकिन जैव विविधता में भारत का योगदान 8 प्रतिशत है।
किसी पारिस्थितिक प्रणाली (Ecological System) में पाई जाने वाली जैव विविधता से उसके स्वास्थ्य का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जितनी स्वस्थ जैव विविधता (Bio-Dioversity) होगी उतना ही स्वस्थ इकोलोजिकल सिस्टम भी होगा। लेकिन चोरी छुपे शिकार और प्राकृतिक पर्यावास के छिनने से जानवरों के विलुप्त होना का खतरा पैदा हो गया है।
आज हम बात इन्हीं जीव-जन्तुओं की करेंगे जो अपना दर्द बोल कर नहीं समझा सकते।
पहला नम्बर है "Save Tiger" मिशन के बाघ का । भारत का राष्ट्रीय पशु सर्वाधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक हैं। खाल और विभिन्न अंगों की भारी कीमत के चलते इनका शिकार किया जाता है। देश में अब केवल 1411 बाघ ही बचे हैं।
एशियाई शेर: गुजरात के गिर वन में अब करीब 411 शेर बचे है। पर्यावरण क्षरण, जल प्रदूषण और शिकार के लिये जानवरों की कमी के कारण यह प्रजाति संकट में है।
काली गर्दन वाला सारस (Black Necked Crane): यह जम्मू कश्मीर का राज्य पक्षी है। जैविक दबावों, झीलों और दलदली क्षेत्रों के सूखने और बढ़ते प्रदूषण के चलते, अब अत्यन्त दुर्लभ है।
पश्चिमी ट्रैगोपैन (Western Tragopan): हिमालय के निकटवर्ती स्थानों में पाये जाने वाली एक दुर्लभ तीतर प्रजाति। शिकार और पर्यावास क्षरण (Habitat Degradation) के कारण संकट में है।
गिद्ध: यह प्रमुख रूप से मृत-पशु माँस पर निर्भर है। पशुओं में बड़े पैमाने पर डाइक्लोफ़ेनेक दवा के इस्तेमाल के कारण आज इनकी संख्या 97 से 99 प्रतिशत तक कम हो गई है।
हिम तेंदुआ (Snow Leopard): हिमालय की ऊँचाईयों मे पाईजाने वाली बिल्ली की अत्यन्त फ़ुर्तीली प्रजाति। चोरी छिपे इसके शिकार और शिकार के लिये जानवरों कीकमी के कारण इसकी संख्या में भारी कमी आई है।
लाल पांडा (Red Panda): वृक्षों पर रहने वाला पूर्वी हिमालय का स्तनपायी जीव। वनों का सफ़ाया होने से इसके पर्यावास में हुई कमी के कारण आबादी में जबर्दस्त कमी आई है।
सुनहरा लंगूर (Golden langoor): ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास पाया जाता है। अब इनकी संख्या तेजी से घत रही है।
भारतीय हाथी (Indian Elephant): राष्ट्रीय विरासत पशु। हाथी दाँत के लिये चोरी छिपे शिकार और पर्यावास के नष्ट होने कारण संकटग्रस्त। जंगलों में केवल 26000 हाथी बचे हैं।
एक सींग वाला एशियाई गैंडा (Indian One-Horn Rhino): कभी गंगा के मैदानी इलाकों में बहुतायत में था, लेकिन सींग की वजह से इसके अत्याधिक शिकार और प्राकृतिक पर्यावास के चलते आज जंगलों में करीब 2100 गैंडे ही बचे हैं।
दलदली क्षेत्र का हिरण (Swamp Deer): यह हिरण मूल रूप से भारत और नेपाल में पाया जाता है; पर्यावास क्षरण और अन्य नृविज्ञानी (Anthropogenic Pressure) दबावों के कारण इनकी संख्या घटी है।
ओलिव रिडले कछुआ (Olive Ridle Turtle): भारत के पूर्वी तट पर पाया जाने वाला सबसे छोटा कछुआ। केवल ओड़िशा तट पर भारी संख्या में अंडे देता है। प्रजनन स्थलों की संख्या में कमी, मछलियों के जालों मेम फ़ँस जाने और समुद्री जल के बढ़ते प्रदूषण के कारण इनकी आबादी को खतरा हो गया है।
ये केवल 12 हैं। ऐसे न जाने कितने ही और जीव जन्तु हैं जिनके बारे में हम सोचते नहीं हैं। जो आज विलुप्त होने की कगार पर हैं। बाघ हमारा ध्यान खींच सकता है क्योंकि वह एक राष्ट्रीय पशु है परन्तु बाकि ग्यारह भी उतने ही आवश्यक हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम इन्हें बचा कर रखे। ये हमारी धरोहर हैं। इनके न होने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते।
आइये एक मिशन में सब साथ दें। Save Tiger ही नहीं "Save All Endangered Species" का लक्ष्य बनायें। आइये इस नेक काज को लोगों तक पहुँचायें। भारत के कोने कोने तक यह जागृति लाना ही एकमात्र लक्ष्य है। जीव रहेंगे तो हम जिंदा रहेंगे। जीव से ही सृष्टि टिकी है और उसी से हमारा जीवन।
नोट: चीता विलुप्त हो चुका है। आईये बाकियों को सहेजें।
स्रोत: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी 2011 का कैलेंडर।
12 comments:
Great writeup!
It raises a concern.. if we continue at this pace, we might be the only living species in the world one day... Or may be not, because we'll also be extinct by that time due to ecosystem imbalance (seems to be the only potential threat to human species). And even if we are not extinct, will we enjoy living alone?
Tapan bhaiya
thanks for sharing ...
easy solution ... clone them
thats not a solution
it's jugad
these species are disappearing, is not an issue
why they are disappearing, is an issue
hope atleast one who is the reason for this issue reads this and resolves to change side
Tapan, i have a request.
It would be great if you could post articles which would tell us what we should/could do and what we should not do, for cases like this and others
भूपेंद्र,
एक जो महत्वपूर्ण कारण है वह है habitat degradation. जीवों की रहने की जगह समाप्त हो रही है। ये तो सरकार और रहने वाले लोगों की समझ को दर्शाता है।
अभी हाल ही में ओड़ीशा में Posco Steel Plant लगाने की योजना हो रही है जिसके लिये राज्य और केंद्र सरकारों ने अनुमति दे दी है। इसके लिये वनभूमि का इस्तेमाल किया जायेगा। है न हैरानी और बेवकूफ़ी भरी योजना.. पर क्या करें जयराम रमेश जी ने भी हामी भर दी है।
अब दो गाँवों के लोगों ने इसके लिये खिलाफ़ आवाज़ उठाई है.. देखते हैं आगे क्या होता है।
Maine zoo me cheetah dekha hai
Hi
Sala
धरती पे पहले बे(जानबर) आये और बाद में मनुष्य, इसलिए धरती पे मनुस्य से ज्यादा अधिकार जानबर का है। मनुस्य तो प्रकीर्ति के साथ खिलबाड़ करता है परंतु जानबर प्रकीर्ति को संजोता है। मनुस्य से ज्यादा महत्ब पूर्ण है जानबर
धरती पे पहले बे(जानबर) आये और बाद में मनुष्य, इसलिए धरती पे मनुस्य से ज्यादा अधिकार जानबर का है। मनुस्य तो प्रकीर्ति के साथ खिलबाड़ करता है परंतु जानबर प्रकीर्ति को संजोता है। मनुस्य से ज्यादा महत्ब पूर्ण है जानबर
जीव विज्ञान (Biology) प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है।
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