Thursday, February 2, 2012

धूप छाँव के आँकड़े और अल्पविराम....WebSite Statistics And Break from Blogging

मित्रों,
आज से ठीक पाँच वर्ष पूर्व जनवरी 2007 में मैंने ब्लॉगिंग के क्षेत्र में कदम रखा। तभी इस ब्लॉग का नामकरण हो गया था - धूप-छाँव। और मेरा पहला पोस्ट था

कौन है सबसे कामयाब निर्देशक??
ईश्वर है सबसे बड़ा निर्देशक...ईश्वर ही हम सब के जीवन की कहानियाँ खुद ही लिख रहा है, निर्देशन कर रहा है..कमाल की बात है..इतने बड़े नाटक को अकेले ही निर्देशित कर रहा है !!और कमाल् तो इस बात का है..हम किरदार हैं और हम ही नहीं समझ पा रहे हैं के हमारे साथ क्या करवाया जाने वाला है..पर निर्देशक गुणी है..हमारा बुरा नहीं होने देगा...इस बात का पूर्ण विश्वास है..पर कम से कम ये तो बता देता के कौन सा किरदार कितनी देर तक् स्टेज पर रहेगा!!!

यह दो-चार पंक्तियाँ हीं थीं मेरा पहला पोस्ट। हैरानी होती है मुझे भी। पर बच्चा तो शुरु में छोटे कदम ही रखता है।

धूप-छाँव पर इन पाँच वर्षों में बहुत कुछ बदला है। समय भी बदला है, मैं भी और मेरे लेखों में भी बदलाव आया है। इंटेरनेट जगत में ब्लॉगिंग  भड़ास निकालने का एक माध्यम बनता जा रहा है। तो इसी भड़ास-क्षेत्र में मैंने राजनैतिक व सामाजिक विषयों से लेखन प्रारम्भ किया। धूप-छाँव पर आप काफ़ी राजनैतिक और सामाजिक लेख पढ़ सकते हैं। धीरे धीरे राजनैतिक लेखों से ऊब सी होने लगी और  यही सोच कर ध्यान वैज्ञानिक, शिक्षाप्रद व ज्ञानवर्धक लेखों पर गया। नवम्बर 2010 से मैंने "क्या आप जानते हैं", "गुस्ताखियाँ हाजिर हैं" व "तस्वीरों में देखिये" नामक तीन नये स्तम्भ शुरु किये। इनमें रोचक जानकारी भी है और "गुस्ताखियाँ..." जैसे स्तम्भ में राजनैतिक/सामाजिक कटाक्ष भी शामिल है। हाल ही में "भूले बिसरे गीत" "अतुल्य भारत" जैसे स्तम्भ भी आये हैं जिनमें हम उन गीतों को देखते-सुनते हैं जो सदाबहार हैं। कुछ रेडियो चैनलों ने बाप के जमाने के गाने सुनाने शुरु किये तो लगा कि उन्हें दादा के जमाने के गानों से अवगत कराया जाये। "अतुल्य भारत" वो स्तम्भ है जिसमें भारत के वो दर्शनीय स्थल हैं जिन पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिये व उसके बार में पता होना चाहिये। प्रयास बस इतना कि भारत की धरोहर कहीं खो न जाये।

नवम्बर २०१० में ही धूप-छाँव को नया रंग-रूप दिया। ईमेल के माध्यम से हर पोस्ट पाठक तक पहुँचाने की व्यवस्था की। तकनीक का फ़ायदा उठाया। फ़ेसबुक व ट्विटर भी ब्लॉग से जुड़ गये। २००९-२०१० के दौरान मेरे लेखों की तादाद में गिरावट आई क्योंकि मैं हिन्दयुग्म की वेबसाईट से जुड़ चुका था। हिन्दयुग्म का साथ छूटा तो वापस अपने ब्लॉग पर आया। इस बार tapansharma.blogspot.com को अप्रेल २०११ में dhoopchhaon.com बनाया। आँकड़ों पर नजर डालेंगे तो पायेंगे वर्ष २००७ में चौबीस, २००८ में 33, 2009 में महज तीन, 2010 में 18 लेख पोस्ट किये गये। वहीं २०११ में इनकी संख्या 86 हो गई। यानि एक साल में करीबन नब्बे लेख। यही वह दौर था जब राजनीति व सामाजिक लेखों/कविताओं से निकलकर मैंने ज्ञानवर्धक, गीत-संगीत व अतुल्य भारत जैसी श्रृंख्लाओं की ओर रुख किया। इन लेखों के कारण न केवल मेरे अपने ज्ञान मेंबढोतरी हुई अपितु मैं पाठकों तक अच्छी सामग्री पहुँचाने में भी कामयाब रहा। Alexa Ranking में ब्लॉग की रैंक पचास लाख से बढ़कर साढ़े पाँच लाख तक पहुँच गई। यह सब मित्रों व प्रशंसकों के कारण ही संभव हो पाया जो एक छोटा सा हिन्दी ब्लॉग एक बार तो भारत की पहली पचास हजार वेबसाईटों में शुमार हो गया था। और वो भी तब जब इसको केवल मैं अकेला ही चला रहा था। महीने में जहाँ चार पोस्ट हुआ करतीं थीं वहीं २०११ में इनकी संख्या महीने में आठ तक हो गईं।

हाल ही में वैदिक गणित भी प्रारम्भ किया गया। इस उम्मीद से कि वेदों के इस अथाह सागर में डुबकी लगाई जाये। और फिर कबीर का दोहा

2010  नवम्बर में 650 लोगों ने पढ़ा तो जनवरी 2012 आते आते तीन हजार लोगों ने इस ब्लॉग को एक महीने में पढ़ा। यानि एक दिन में सौ हिट। छोटे से ब्लॉगर के लिये इससे बड़ी बात क्या हो सकती है।

सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखों में यह प्रमुख रहे:

"बसन्ती हवा"- केदारनाथ अग्रवाल द्वारा लिखित सदाबहार कविता Basanti Hawa - Written By KedarNath Agarwal
क्या आप जानते हैं? भारत की विलुप्तप्राय: प्रजातियाँ.....आइये, इनकी रक्षा करें India's Endangered Species.. Let us save them
क्या आप जानते हैं भाग-१- दिल्ली का नाम कैसे पड़ा और २६ नवम्बर क्यों है खास? (माइक्रोपोस्ट) Name of Delhi and Significance of 26 November
क्या आप जानते हैं अब तक कितने भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिला है? Nobel Prize Indian Winners
रुद्राष्टक का हिन्दी अनुवाद: रामनवमी विशेष Rudrashtak Translated In Hindi Ram Navmi Special

Blogger.com की ओर से कुछ आँकड़े:






मित्रों, आप लोगों के सहयोग के कारण ही मैं थोड़ा बहुत लिख पाता हूँ। फ़ेसबुक व ब्लॉग पर आप लोगों के कमेंट्स (टिप्पणीयाँ) मेरा उत्साहवर्धन करती आईं हैं। और इसी कारण मैं निरंतर लिखता रहा हूँ। पर फ़िलहाल  मैंने ब्लॉगिंग से अल्प विराम लेने का विचार किया है। इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि मैं ब्लॉगिंग छोड़ रहा हूँ। पर केवल अल्प विराम लेने का निश्च्य किया है। हालाँकि पूरी तरह से ब्लॉगिंग नहीं छूटेगी, पर काफ़ी हद तक अनियमित अवश्य हो जायेगी। मसलन महीने में एक या दो या फिर वो भी नहीं.... माइक्रोपोस्ट भी हो सकती है.. फ़िलहाल कुछ नहीं पता.. पर इतना पक्का है कि महीने में पाँच-छह लेखों की नियमितता नहीं रहेगी। जब भी मौका मिलेगा लेख लिखूँगा। अल्पविराम के दौरान फ़ेसबुक व ट्विटर जारी र्रहेंगे।

चित्रों में आप देख सकते हैं कि पाठकों की संख्या का ग्राफ़ लगातार ऊपर गया है। हर श्रृंख्ला के लिये लगातार लिखते रहने का जोश भी अलग ही रहा। लगातार बढ़ती लोकप्रियता के मध्य में इस तरह का विराम लेना बहुत कठिन निर्णय रहा पर हर श्रृंख्ला के लिये दिमाग में हर वक्त कुछ न कुछ चलता ही रहता था और तैयारी भी काफ़ी करनी पड़ती थी। ऑफ़िस व पारिवारिक व्यस्तताओं के कारण मेरे लिये समय निकालना कठिन हो रहा है। ब्लॉगिंग से ब्रेक लेने का निर्णय सरल नहीं था पर इस दौरान स्वयं को भी समय देना कठिन हो रहा था। यह समय मैं अपने स्वयं के साथ बिताने व समझने में  और मेरे भीतर जो अज्ञानता का अँधेरा है उसे मिटाने में लगाना चाहता हूँ। बीच बीच में लेख लिखता रहूँगा पर अल्पविराम के बाद एवं नई शक्ति व स्फ़ूर्ति के संचार के साथ और अधिक सशक्त लेख के साथ वापसी होगी, ऐसा विश्वास है।

आप सभी मित्रों, प्रशंसकॊं एवं आलोचकों का धन्यवाद जिन्होंने मेरे ब्लॉग को अब तक सराहा। आपका स्नेह एवं आशीर्वाद निरंतर बना रहे यही कामना है...

मंजिल पर चल पड़े हैं पाँव, कभी है धूप.. कभी है छाँव...


जय हिन्द
वन्देमातरम
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी

1 comment:

Rajesh Sharma said...

official and family obligations are also must.