Sunday, November 2, 2008

लोकतंत्र की हार

सोचा था कि कविता लिखकर ही ब्लॉग पर पोस्ट करूँगा पर इस देश के हालातों ने मुझे फिर ये लेख लिखने पर मजबूर कर दिया। देश में बहुत ही अफरातफरी सा माहौल है। अंग्रेज़ी में कहते हैं : chaos| एक ओर मंदी मंदी का शोर है, दूसरी ओर बम धमाकों का, तीसरी कहानी ’राज’ की नीतियों पर चल रही है जिसे लोग क्षेत्रवाद कहते हैं, चौथी कहानी पुरानी है मुस्लिम तुष्टिकरण की और आखिरी नई नई कहानी है कथित "हिन्दू आतंकवाद" और मिलिट्री के लोगों की धमाकों में शामिल होने की। इतनी सारी कहानियाँ ... एक साथ.. आम आदमी का दिमाग खराब करने के लिये काफी है.. ऐसे में कविता लिखना, बहुत कठिन लगता है मुझे तो।

पहले बात करते हैं राज ठाकरे की। इस बात को ज्यादा नहीं छुऊँगा। दो हफ्ते पहले रेलवे की परीक्षा के दौरान जो हरकत मनसे के लोगों ने करी वो गलत थी। मुझे उनका विरोध का कारण जायज़ लगा पर विरोध का तरीका नहीं। आप कहेंगे कि मैं क्षेत्रवाद के पक्ष में कैसे? दरअसल लालू प्रसाद जब केवल यादवों की भर्ती के लिये परीक्षा करवायेंगे और यूपी अथवा हरियाणा के यादवों की नहीं बल्कि केवल बिहार के यादवों के लिये... तो विरोध लाज़मी है। मैं भी करता.. यहाँ लालू क्षेत्र और जातिवाद दोनों फैला रहे हैं... केंद्र मंत्री जो ठहरे...जो करेंगे किसी को पता नहीं चलेगा... मीडिया भी इसके लिये दोषी है को सही कारण लोगों तक नहीं पहुँच रहा है.. कर्नाटक और उड़ीसा से भी ९९ फीसदी जब बिहारी चुने जायेंगे तो मुझे नहीं लगता कि विरोध करने में कोई दोराय बचती है। और भी गुल खिलाये हुए हैं हमारे रेल मंत्री जी ने.. पर वो बात अभी नहीं एक और चिंता बाकि है...

देश में जब भाजपा यह कह रही थी कि हर मुसलमान आतंकी नहीं पर हर आतंकी मुसलमान। दूसरा यह कि केंद्र सरकार अफज़ल को अब तक बचाये हुए है केवल वोटों के लिये। तब अचानक ही साध्वी प्रज्ञा पकड़ी जाती हैं मालेगाँव के बम ब्लास्ट में। कहा जाता है कि उनका हिन्दू संगठनों से ताल्लुकात हैं। मुम्बई की पुलिस ने साध्वी को पकड़ते ही नार्को टेस्ट शुरु करवा दिया। जबकि यह टेस्ट तभी होता है जब पक्के सुबूत न हों। कांग्रेस को बहाना मिला और उसने हिन्दू संगठनों पर बैन की बात करी। दसियों धमाके करने वाली सिमी का समर्थन करने वाले मंत्री एक साध्वी के पकड़े जाने पर हिन्दू संगठनों का विरोध करने लगे। एक व्यक्ति के पकड़े जाने से यदि संगठन बुरा हो जाता है तो.....
साध्वी के साथ पकड़े गये हैं सेना के अफसर भी.. इसका मतलब तो यह हुआ कि सेना पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाये!!!

यहाँ से दो बातें हो सकती हैं - एक ..साध्वी और अफ़सर बेकुसूर हैं.. मतलब साफ है महाराष्ट्र सरकार फँसा रही है..यानि राजनैतिक दल अनैतिकता के रास्ते पर धड़ल्ले से चलने लगे हैं और सरकारी तंत्र का गलत फायदा उठाने से बाज नहीं आते। ये हालात भारत में राजनैतिक भविष्य बयां कर रहे हैं...

दो.. साध्वी और सेना के अफसर कुसूरवार हैं, इसका अर्थ यह हुआ कि केंद्र की नीतियों से अब कथित "हिन्दू आतंकवाद" पैदा हो गया है जो अब तक कभी नहीं था। बम विस्फोट कभी नहीं करवाये गये। ये चिंता का विषय है जब हर धर्म के लोग हिंसा और बम ब्लास्ट करने पर उतर जायेंगे। ऐसा क्यों हो रहा है... इस मुद्दे पर मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री या केंद्र कुछ सोच रहा है वरना हिंदुस्तान के मंदिर कहे जाने वाले संसद पर हमले का आरोपी जिंदा नहीं होता। सेना में आक्रोश फैला हुआ है शायद इसलिय सेना के अफसर भी सरकार के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। यदि मिलिट्री भी बम विस्फोट में शामिल है और यदि ऐसा रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश भी पाकिस्तान बन जायेगा...

खैर...खरबूजा चाहें चाकू पर गिरे या चाकू खरबूजे पर.. कटना खरबूजे को ही होगा... चाहें साध्वी कसूरवार हो अथवा बेकसूर.. हार लोकतंत्र होगी..राजतंत्र की होगी..भारत सरकार की होगी...हमारी होगी..हिन्दुस्तान की होगी!!!

दुखी मन से (सुखी है "मनसे"..?? )
जय हिन्द!!

4 comments:

संगीता पुरी said...

हार लोकतंत्र हो रही है..राजतंत्र की हो रही है..भारत सरकार की हो रही है...हमारी हो रही है ..हिन्दुस्तान की हो रही है !!! इसमें कोई शक नहीं।

Udan Tashtari said...

कटना तो खरबूजे को ही होगे.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

sab ast vyast hai
narayan narayan

Anonymous said...

I have little different opinion..
- Just because Laloo preaches some wrong act we can not support the wrong deeds of Raj Thackrey. The jobs of street hawker, cleaners and shop workers are mostly done by people from UP and Bihar. These jobs no Maharashtrian is ready to do. Then why a hastle?
- Why not blame the banking and IT industry there which is totally headed by people belonging to North India?
- Why is he not able to stop and convince people to work in India rather than flying to US. Maharashtrians are famous for working in foreign land.

Rest more about Sadhvi issue you can have a glance at http://parivartan.wordpress.com/2008/10/31/chivalrous-act-answer-to-terrorism/