धूप छाँव
मंज़िल पर चल पड़े हैं पाँव, कभी है धूप कभी है छाँव
Thursday, January 25, 2007
आनंद मरते नहीं..
आनंद मरते नहीं..
ये केवल एक फ़िल्म का डायलोग नहीं है...अपितु ये शब्द हमें जीने की राह दिखाते हैं..ज़िन्दगी का मकसद देते हैं..
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