धूप छाँव
मंज़िल पर चल पड़े हैं पाँव, कभी है धूप कभी है छाँव
Thursday, January 25, 2007
अप्पदीपो भव
महावीर स्वामी ने कहा हैः अप्पदीपो भव इस का अर्थ हैःस्वयं अपने दीपक बनो। जब दृष्टि बाहर से मुड़कर भीतर चली जाती है, तो अपने आप में सब कुछ पा लेती है।
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