धूप छाँव
मंज़िल पर चल पड़े हैं पाँव, कभी है धूप कभी है छाँव
Thursday, January 25, 2007
ज़िन्दगी एक नींद
ज़िन्दगी एक नींद की तरह् है..कब पूरी हो जाये पता ही नहीं चलता..इसीलिये जितने सपने देख सकते हो देखो..जितना उन्को साकार करने की सोच् सकते हो करो..न जाने कब नींद पूरी हो जाये और् आप फ़िर कभी सपने ना देख ना पायें.!!
Be a Fan
1 comment:
Queen of Endurance
said...
bahut khoob kaha !
- Parul
June 22, 2007 at 1:17 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
क्या आप जानते हैं?
-
अतुल्य भारत
MENU
1 comment:
bahut khoob kaha !
- Parul
Post a Comment