न हार में न जीत में, किञ्चित नहीं भयभीत मैं...
कर्त्तव्य पथ पर जो भी मिले..यह भी सही..वह भी सही..
मतलब साफ़ है..अपने कर्म करते चले जाओ..परिणाम की चिन्ता न करते हुए..पूरे लगन और निष्ठा के साथ अपना काम करो..और बाकि कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं है..सफ़लता असफ़लता हमारे हाथ में नहीं है..पर हम कर्म तो कर ही सकते हैं...ये तो हमारे हाथ में है ही...जो असफ़ल होने से डरते हैं वे आगे कुछ नहीं कर सकते..
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