छह फ़रवरी 1965 को रिलीज़ हुई गाईड जिसमें थे देव आनन्द और वहीदा रहमान, जिसे लिखा था विजय आनन्द ने और संगीत था सचिन देव बर्मन का। गाईड की कहानी आर.के.नारायण द्वारा निखित उपन्यास पर आधारित थी। इस फ़िल्म ने एक या दो नहीं बल्कि सात फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड जीते थे- सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, निर्देशन, नायक, नायिका, कहानी, सिनेमाटोग्राफ़ी और डॉयलाग।
पेश हैं इसी फ़िल्म के कुछ गीत। हिन्दी सिनेमा के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गीत।
आज फ़िर जीने की तमन्ना है
वो गीत जिसमें अंतरा मुखड़े से पहले आया!!
दिन ढल जाये..
गाता रहे मेरा दिल..
क्या से क्या हो गया.. बेवफ़ा...
पिया तोसे नैना लागे रे..
तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
वहाँ कौन है तेरा..मुसाफ़िर जायेगा कहाँ..
गाईड जैसी फ़िल्में आज के दौर में नहीं बन सकती और विडम्बना यह कि ऐसी ही फ़िल्मों की जरूरत है।
जय हिन्द
वन्देमातरम
भूले-बिसरे गीत श्रृंख्ला आपको कैसी लगी टिप्पणी के माध्यम से अवश्य बतायें।
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