ब हाल-ए-हिज्रा बेचारा दिल है..
सुनाई देती है जिसकी धड़कन
हमारा दिल या तुम्हारा दिल है
फ़िल्म गुलामी का यह गीत अपने आप में एक मिसाल है। इसके गीतकार हैं गुलज़ार साहब। गुलज़ार ने फ़िल्म इंडस्ट्री को इतने नायाब गीत दिये जितने शायद किसी और गीतकार ने नहीं दिये। एक से बढ़कर एक सदाबहार गीत। उन्हीं में से एक है आज का यह गीत। इस गीत के शुरुआती बोल फ़ारसी के हैं और गुलज़ार ने इसे खूबसूरती से अमीर खुसरो के एक सूफ़ी गीत से "चुराया"।
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत को सुनकर इस गीत को गुनगुनाने से अपने आप को कोई नहीं रोक सकता।
फ़ारसी के शब्दों के बिल्कुल सटीक अर्थ बताने तो कठिन हैं, परन्तु प्रयास किया है। किसी को इससे बेहतर कोई अर्थ पता हो तो अवश्य बतायें।
इंटेरनेट पर खोजने पर अंग्रेज़ी भाषा में इसका मतलब लिखा हुआ आपको अवश्य मिल जायेगा।
ज़िहाल- ध्यान देना/गौर फ़रमाना
मिस्कीं- गरीब
मकुन- नहीं
हिज्र- जुदाई
भावार्थ यही निकलता है कि मेरे इस गरीब दिल पर गौर फ़रमायें और इसे रंजिश से न देखें। बेचारे दिल को हाल ही में जुदाई का ज़ख्म मिला है।
विडियो
खुसरो का वह गीत जिससे गुलज़ार को प्रेरणा मिली थी।
अमीर खुसरो ने एक गीत (तकनीकी तौर पर इसे क्या कहेंगे मैं नहीं बता सकता) लिखा जिसकी खासियत यह थी कि इसकी पहली पंक्ति फ़ारसी में थी जबकि दूसरी पंक्ति ब्रज भाषा में। फ़िल्म के गीत की तर्ज पर ही खुसरो के इस गीत को भी पढ़ें। गजब के शब्द.. कमाल की शब्दों की जादूगरी।
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, (फ़ारसी)
दुराये नैना बनाये बतियां | (ब्रज)
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान, (फ़ारसी)
न लेहो काहे लगाये छतियां || (ब्रज)
शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़
वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह, (फ़ारसी)
सखि पिया को जो मैं न देखूं
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां || (ब्रज)
यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू
ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं, (फ़ारसी)
किसे पडी है जो जा सुनावे
पियारे पी को हमारी बतियां || (ब्रज)
चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान
हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह | (फ़ारसी)
न नींद नैना, ना अंग चैना
ना आप आवें, न भेजें पतियां || (ब्रज)
बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर
कि दाद मारा, गरीब खुसरौ | (फ़ारसी)
सपेट मन के, वराये राखूं
जो जाये पांव, पिया के खटियां || (ब्रज)
चाहें अमीर खुसरो हों जिनके सूफ़ी गीत आज भी उनके चाहने वालों की पहली पसंद हैं और चाहें गुलज़ार जो पिछले पाँच से छह दशकों से एक के बाद एक नायाब गीत हमें दे रहे हैं.. दोनों का ही अपने क्षेत्र में कोई मुकाबला नहीं।
यदि किसी को खुसरो के गीत के बोल के अर्थ पता हो तो हमारे साथ अवश्य बाँटें।
28 comments:
अमीर खुसरो जी की यह अद्भुत दो भाषाओं की रचना पढ़कर अत्यंत आनंद का अनुभव हुआ तपन शर्मा जी को बहुत-बहुत धन्यवाद
अमीर खुसरो जी की यह अद्भुत दो भाषाओं की रचना पढ़कर अत्यंत आनंद का अनुभव हुआ तपन शर्मा जी को बहुत-बहुत धन्यवाद
जिहाल-ए -मिस्कीन मकुन बरंजिश , बेहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन , तुम्हारा दिल या हमारा दिल है
( मुझे रंजिश से भरी इन निगाहों से ना देखो क्योकि मेरा बेचारा दिल जुदाई के मारे यूँही बेहाल है। जिस दिल कि धड़कन तुम सुन रहे हो वो तुम्हारा या मेरा ही दिल है )
गुलजार साहेब की बहुत इज्जत करता हूं पर अमीर खुसरू की इस गजल के साथ नाइंसाफी की है ।यह हक में किसी को नहीं दे सकता
बहुत ज्ञानवर्द्धक जानकारी मिली इसके लिए धन्यवाद ।
डाॅ राजकुमार त्रिपाठी
ज़बरदस्त,अद्भुत, मंत्रमुग्ध हो गया ये पढ़ के। Great work....
साथ ही तपन शर्मा जी को इस विस्तृत रेखांकन के लिए तहे दिल से मुबारकबाद।
Really all time evergreen everperson fevarate song, brealent lyrics +music so much
Very very great dip meaning.
What a expression.
Amir khushroo & guljar both are so great in their expressions.
Even though guljar Saab modified original version, it's not bad but it's great trest to all us.
Salam to both.
क्या गीत लिखा है खुसरो जी ने किन शब्दों में उन्हें आभार व्यक्त किया जाय। ऐसे परम ज्ञानी को कोटिशः प्रणाम।
जी में रघुनंदन पाठक
अद्भुत रचना
Thanks for the above. Internet is alive because of people like you. Thanks from the bottom of my heart.
बहुत ही सराहनीय एवं ज्ञानवर्धक प्रयास। शुभकामनाएँ।
Naic
Nice bro u describes good
बहुत सुंदर है जानकारी अदभुत
Hazrat ameer khusro ka ye kalaam aaj ham aam logon tak pahuncha,iske liye gulzaar sahab ka shukriya,aur Google ne poori imaan daari se,bataya,ki ye bol gulzaar sahab ne,hazrat ameer khusro ke,pharsi zabaan ke kalaam se churaye,( copy) hain,ye baat achchi lagi,agar nahin bataya hota,to na insaafi hoti,
Hilal Alam,s/o jameel hapudi,ghaziabad,fb,Hilal Alam,
Sunder jankari
A beautiful lyrics created by HAZRAT AMIR KHUSRO, this is his surrender to the Divine Master Hazrat Nizamuddin Auliya, agreat desiple and a great Guru.
गुलज़ार जी भी ....
Suprbb
गजब। जी। नमन
गजब
अप्रतिम... भाषिक सौंदर्य | नमन ... अमिर खुसरोजी
वंदन .. गुलजारजी
khusro is khusro. Guljar should not have copied / distorted this immortal
poem
Great
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