अग्रेज़ों के यहाँ रिश्ते आज हैं और कल नहीं। इसलिये अपने प्रेमी से प्रेम का इज़हार करने के लिये वैलेंटाईन डे बनाया। हर साल ही प्रेमी और प्रेमिका बदलते रहते हैं वहाँ। वैसे तो पति-पत्नी भी एक वर्ष साथ रह जायें वही बहुत है। उनके लिये परिवार आवश्यक नहीं इसलिये मदर्स डे व फ़ादर्स डे जैसे दिन बना डाले। चलो एक दिन तो अपने माता-पिता के पास वे जायेंगे। और हम उस श्रवणकुमार की कहानी भूल जाते हैं जो अपने अँधे माता पिता को सभी धामों की यात्रा कराता था। क्यों नहीं श्रवणकुमार की याद में कोई दिवस मनाया जाता? है न ग्लोबलाइज़ेशन का कमाल!! देश को भूलो परदेस को याद रखो....
उसी तरह हम हिन्दी भी भूल रहे हैं। अंग्रेज़ी व अन्य विदेशी भाषायें इस कदर हम पर हावी हैं कि कुछ लोग अपने दो-तीन साल के बच्चे के साथ भी अंग्रेज़ी में ही बात करते हैं। मैक-डॉनैल्ड जैसे विदेशी रेस्टोरेंट में जाकर धड़ल्ले से अंग्रेज़ी में रोब जमाते हैं। और ऐसे व्यवहार करते हैं कि जैसे हिन्दी बोलना पाप हो गया हो। हिन्दी बोलने वाला बच्चा हीन भावना का शिकार हो रहा है।
आजकल छठीं कक्षा से फ़्रेंच व जर्मन भाषायें सिखाने का चलन शुरू हो गया। अभिभावक यह समझते हैं कि चूँकि ये भाषायें उनके बच्चे का "विकास" करेंगी इसलिये वे अपने बच्चों को जर्मन व फ़्रेंच सिखा रहे हैं। लेकिन वे नहीं जानते कि वे संस्कृत न पढ़वा कर बच्चे को बौद्धिक विकास से दूर कर रहे हैं। हमारे ग्रन्थों में व नीतियों में ऐसी गूढ़ बातों का उल्लेख है जो हम जर्मन व स्पेनिश में नहीं सीख सकते। जर्मन व स्पेनिश जैसी भाषायें तो आप एक साल का कोई भी कोर्स करके सीख जायेंगे..पर संस्कृत कब सीखेंगे? आपको यह जानकर अचरज हो सकता है कि चीन का विश्वविद्यालय संस्कृत सिखा रहा है और विद्यार्थियों में रूचि भी है। और हम.... ग्लोबलाइज़ेशन का जमाना है...
आज हिन्दी इतनी उपेक्षित हो चुकी है कि यह "एक दिन" की मोहताज बन गई है। सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक संस्कृत अब केवल पंडितों की भाषा बन कर रह गई है। उसका तो एक "दिवस" भी मुझे नहीं पता। क्या आपको पता है "संस्कृत दिवस" कब मनाया जाता है? बहरहाल प्रश्न जस का तस ही रह जाता है। "’हिन्दी दिवस" की आवश्यकता क्यॊं है? यदि हम प्रति दिन हिन्दी को अपनी आत्मा बना कर रखें तो शायद ....
वैसे क्या आप जानते हैं अमरीका के लोग "इंग्लिश डे" कब मनाते हैं?
जय हिन्द
वन्देमातरम
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