Tuesday, December 6, 2011

अहम ब्रह्मास्मि ! Aham Brahmasmi

आत्मा
परमात्मा
आदि अनन्त
साधु व संत
सप्तरंगी छँटा
वादियों में घटा
खग विहग
वर्षा सावन
वन उपवन
पवित्र पावन

मरूभूमि की रेत
सरसों के खेत
खेत में फ़सल
वायु व जल
गीत संगीत
पूनम का चाँद
अमावस की रात

सुख दुख
आज कल
काल चक्र
अच्छा बुरा
अच्छा क्या?
बुरा क्या ?

तेरा मेरा
अपना पराया
तुझमें समाया
खुशी गम
माया व भ्रम...

धूप छाँव
राह  मंज़िल
समंद्र व साहिल
मस्जिद मंदिर
पंडित काज़ी
एक ही जहाज
एक ही माझी

कंस रावण
दुर्योधन दुशासन
कृष्ण या राम
एक ही नाम
ॐकार निराकार

पुरुष प्रकृति
साकार आकृति

रे सर्वज्ञ !
रे सर्वेश्वर !
अर्धनारीश्वर..
क्यूँ है मौन
मैं हूँ कौन ?
मृत्यु जीवन
सत्य अटल
एक सत्य
सत्य असत्य
अग्नि नभ
तुझमें सब
अंतरिक्ष नक्षत्र
ब्रह्म सर्वत्र
तुझमें संसार
मुझमें संसार
तू मैं
मैं तू

अहम ब्रह्मास्मि !

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