स्वतंत्रता हमें 15 अगस्त 1947 को मिली। जिसकी खुशी हम आज तक मनाते हैं। लेकिन कभी कभार ही हम ये सोचते हैं कि हमने इस देश को क्या दिया। बस यही कहते रहते हैं कि इस देश में कुछ नहीं रखा..इस देश ने हमें क्या दिया? स्वतंत्रता दिवस के विशेष पर्व पर धूप-छाँव लेकर आया है देश भक्ति से ओत-प्रोत दस गानों की कड़ियाँ। ग्यारह से पन्द्रह अगस्त तक हर रोज़ एक या दो राष्ट्रभक्ति का गीत।
1962 के युद्ध के बाद आये ये दो बेमिसाल गीत...
कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों (हक़ीकत)
"ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी " : इस गीत के बिना ये श्रृंख्ला पूरी नहीं हो सकती।
आपको ये श्रृंख्ला कैसी लगी, अवश्य बताइयेगा। बेशक न बतायें पर इतना ध्यान ज़रूर रखें कि आपका हर कार्य ऐसा हो जो इस देश की मिट्टी के काम आये। इस धरती को अपनी माँ समझें और देश को अपना परिवार।
मैथिली शरण गुप्त कह गये हैं : जननी जन्मभूमि: च स्वर्गदापि गरीयसी। यानि माँ और जन्मभूमि को स्वर्ग से बड़ा दर्जा प्राप्त है।
जय हिन्द।
वन्देमातरम।
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