कपिल सिब्बल: नमस्कार राहुल बाबा।
चिदम्बरम: नमस्कार राहुल बाबा।
मनमोहन सिंह: नमस्कार....
राहुल: अरे नमस्कार नहीं.. जय किसान बोलिये.. शास्त्री जी के नारे में से मुझे यही नारा पसंद आया है।
मनमोहन सिंह: जय कि...
राहुल बाबा: चलिये ये सब छोड़िये..सीधा मुद्दे पर आते हैं। इस अन्ना का क्या किया जाये?
कपिल: अन्ना का क्या करना है... सब ठीक हो जायेगा.. थोड़े दिन रूकिये अपने आप आंदोलन ठंडा हो जायेगा।
चिद्दु: पर सिब्बल जी, पिछली बार भी हमने यही सोचा था.. पर हुआ क्या... उलटे और भी ज्यादा लोग आंदोलन में जुड़ गये।
सिब्बल : हमने यही सोचा था कि जैसे रामदेव को भगाया.. वैसे ही अन्ना को जेल भिजवा कर ये अनशन भी तुड़वा देंगे।
चिद्दु: पर रामदेव के साथ ये क्रेन बेदी, केजरीवाल जैसे बंदे होते तो खाट खड़ी कर देते। बेचारा रामदेव... रामदेव का आंदोलन इससे ज्यादा बढ़ा साबित होता..उसके साथ गाँव के लोग जुड़े हुए हैं..और दिल्ली से बाहर के..
सिब्बल: और अन्ना के साथ शहर वाले... वोट की चिंता समाप्त.. हा हा...
राहुल: हाँ.. सभी जानते हैं कि ये शहरी वोट हमारे किसी काम के नहीं...रामदेव को पहली रात ही खत्म करना बहुत जरूरी था।
सिब्बल: एक काम करते हैं अन्ना की टीम से मुलाकात करते हैं..दस में से चार-पाँच बातें और मान जाते हैं थोड़ा वे आगे बढ़ेंगे थोड़ा हम..बस हो गया काम...बोलिये..
मनमोहन सिंह: मेरे दिमाग में एक आईडिया आया है...
बाकि सभी एक साथ: क्या बात है..क्या बात है...आपको एक आईडिया है.. भई बाह...
मनमोहन सिंह: अरे सुनिये तो..मज़ाक की बात नहीं है.. हम उनकी सारी बातें मान जाते हैं। इससे लोगों में हमारी इज़्ज़त बढ़ जायेगी। सब यही समझेंगे कि हम जन लोकपाल के साथ है। पर हम ये जानते हैं कि सभी पार्टियाँ अन्ना के बिल से सहमत नहीं हैं। संसद में ये बिल पास हो ही नहीं सकता.. गारंटीड....
राहुल बाबा: कौन कहता है आपको राजनीति नहीं आती...? मैं मम्मी से बात करता हूँ.. आपकी प्रोमोशन के बारे में.. अगली बार आपको राष्ट्रपति बनायेंगे..
मनमोहन: राहुल बाबा आपका शुक्रिया...
राहुल बाबा: अरे शुक्रिया कैसा.. आप ही तो हमारे काम आते हैं...
सिब्बल जी: मनमोहन जी, आपने क्या युक्ति सुझाई है.. साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे.. अगर ये आप पहले बता देते तो प्रेस कांफ़्रेंस में हमारी इंसल्ट न होती। अब हर जगह हमें ताने सुनने को मिल रहे हैं। "हू हा हू हा कपिल सिब्बल चूहा" जैसे नारे... ओह...
चिद्दु: कोई नहीं जी.. देर आये दुरुस्त आये.. अभी ही ऐलान कर देते हैं..
राहुल: अरे आप नहीं.. जरूरत पड़ने पर मैं जाकर ऐलान करूँगा कि अन्ना को बिना बात परेशान किया गया और उनकी सभी बातें मानी जायें। इससे क्या होगा आप जानते ही हैं। वैसे भी मुझे यह कहकर बदना किया जा रहा है कि "सारे युवा यहाँ हैं..राहुल गाँधी कहाँ हैं?"...
(सभी सदस्य ताली बजाते हैं)
राहुल : बड़े दिनों से हम किसानों से मिलने नहीं गये.. यूपी में बगावत करवाओ.. रीता बहुगुणा जी आखिर कर क्या रही हैं.. नोएडा की बातों को भी महीने से ऊपर हो गया है। चुनाव सर पर हैं...
सिब्बल: मैं बात करता हूँ।
राहु्ल: चलिए मीटिंग समाप्त... कल अनशन की कंडीशन देखकर आज के विचारों पर कल फ़ैसला लेंगे.. सबको मंज़ूर है?
जी (सभी एक स्वर में)
मनमोहन जी: जी मंजूर है। राहुल बाबा.. सोनिया मैडम कैसी हैं अब?
राहुल: मुझे भी उनकी बहुत याद आ रही है। दो दिन में जाने की सोचता हूँ।
सिब्बु: लोकसभा सेक्रेट्री को आपकी यात्रा के बारे में बताना है क्या?
राहुल बाबा: सिब्बल जी, कैसी बहकी सी बातें कर रहे हैं.. इतने सालों में कभी हमने लोकसभा सेकेट्री से परमीशन ली है जो अब लेंगे? कब कहाँ कैसे जाना है ये हम तय करते हैं..लोकसभा सेक्रेट्री किस खेत की मूली है?
गुस्ताखियाँ हाजिर में आज इतना ही। आपको ये कड़ी कैसी लगी और श्रृंख्ला में आप किन किरदारों को पढ़ना चाहेंगे, जरूर बतायें।
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