अन्ना अनशन क्यों कर रहे हैं ये सभी को पता है इसलिये आपका ज्यादा समय नहीं लूँगा। जनलोकपाल का समर्थन पाने की चाह में आज लगातार आठवें दिन उनका अनशन जारी है।
ऑफ़िस के कुछ साथी रविवार की कड़ी धूप में रामलीला मैदान, दिल्ली पहुँचे। मैं जैसे ही नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन में मेट्रो से बाहर निकला मुझे हाथ में तिरंगे लिये, मुँह पर वन्देमातरम का राग व अन्ना के साथ उनके संघर्ष में उनके साथ रहने की प्रतिज्ञा करते हुए झुंड के झुंड रामलीला मैदान की ओर जा रहे हैं। स्टेशन के अंदर ही सैकड़ों लोग व तिरंगे..
आज़ाद भारत के इतिहास में ऐसे मौके कम ही आये होंगे जब स्वतंत्रता दिवस से भी अधिक झंडे सड़कों पर दिखाये दे रहे हों। जितने लोग मैदान में थे उससे कहीं अधिक लोग सड़कों पर थे।
आपके लिये कुछ तस्वीरें रामलीला मैदान से ही...
नारे लगाते लोगों के कुछ वीडियो भी...
"मितवा" गाने पर आकाश में स्वच्छंद उड़ते पंछियों को देख कर लगा कि शायद अब देश आज़ाद होगा..
अब कुछ ऐसे चित्र भी जो ये सोचने पर मजबूर करेंगे कि लोकपाल भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलवा भी दे फिर भी इस कथित "सभ्य समाज" में सभ्य लोगों की कहीं कमी सी है।
कूड़ा फ़ैलाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है....
लाइन तोड़ते और बिना हेलमेट व चार लोग एक बाइक पर..ऐसे दृश्य आम देखे जा सकते थे... ये सब देखकर कहीं से लगा नहीं कि ये लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ़ साथ देने आये हैं... भ्रष्टाचार तो केवल एक राक्षस है... हर आदमी में जो राक्षस पल रहा है जब तक उसके लिये लोकपाल नहीं आयेगा तब तक यह देश आज़ाद नहीं होगा।
आज़ादी की लड़ाई हमने नहीं देखी...पर रविवार को हमने देखा कि आज़ादी ऐसे ही मिली होगी।
नेताओं के भ्रष्टाचार तो हमें दिखता है और लोकपाल से साठ प्रतिशत दूर भी हो जाये परन्तु क्या वो दिन भी आयेगा जब हम लाइसेंस के लिये दो हजार, मैरिज सर्टिफ़िकेट के लिये पाँच हजार व पासपोर्ट के लिये दो सौ रूपये न दें?
वन्दे मातरम...
जय हिन्द
1 comment:
This is the truth..But Tapan, thats a nice article.
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